अरुप्पुकोट्टै के निजी महाविद्यालय की छात्राओं को जबरन अनैतिक कार्य में धकेलने के काण्ड की जांच पड़ताल के लिए कुलाधिपति व कुलपति द्वारा गठित
छात्राओं को अनैतिक कार्य में धकेलने का मामला
चेन्नई. अरुप्पुकोट्टै के निजी महाविद्यालय की छात्राओं को जबरन अनैतिक कार्य में धकेलने के काण्ड की जांच पड़ताल के लिए कुलाधिपति व कुलपति द्वारा गठित की गई जांच समितियों को पीएमके संस्थापक डा. एस. रामदास ने अवैध माना है। वे प्रकरण की सीबीआइ जांच चाहते हैं।
रामदास ने कॉलेज की सहायक प्रोफेसर निर्मला देवी को गिरफ्तार किए जाने का स्वागत किया। उन पर आरोप है कि वे छात्राओं को विवि के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अनैतिक कार्य करने पर फायदा दिलाने का प्रलोभन देती थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो के अनुसंधान से ही सच्चाई सामने आएगी।
राज्यपाल व कुलाधिपति बनवारीलाल पुरोहित ने सोमवार को रिटायर्ड आइएएस अधिकारी आर. संथानम की अध्यक्षता में जांच समिति का गठन किया। उधर, नई दिल्ली में कुलपति चेल्लादुरै ने पांच सदस्यीय जांच समिति के गठन की बात कही।
रामदास ने प्रतिक्रिया दी कि पुरोहित विवि के कुलाधिपति मात्र हैं। उनके पास कॉलेजों के शासन व अनियमितताओं की जांच के आदेश देने का अधिकार नहीं है। कॉलेज प्रबंधन ही प्रोफेसर के खिलाफ विद्यार्थियों को गलत राह पर जाने के लिए आमादा करने पर कार्रवाई कर सकता है। जहां तक चेल्लदुरै द्वारा गठित जांच समिति का सवाल है तो जब विवि के सभी वरिष्ठ अधिकारी संदेह के घेरे में हैं तो उनको भी पैनल के सामने पेश होना पड़ सकता है, ऐसे में वे स्वयं इसका गठन नहीं कर सकते हैं।
रामदास ने मांग की कि आरोपित महिला सहायक प्रोफेसर के मोबाइल कॉल रिकार्ड की भी जांच हो। उस पर आरोप है कि वह छात्राओं से विवि के वरिष्ठ अधिकारियों से अनैतिक
रिश्ते बनाए ताकि इसका फायदा कॉलेज को हो।
डीएमके ने भी किया सवाल
इस बीच डीएमके कार्यवाहक अध्यक्ष एम. के. स्टालिन ने भी सवाल किया कि राज्यपाल कैसे जांच समिति के गठन का निर्देश दे सकते हैं। स्टालिन ने पत्रकारों से वार्ता में कहा कि जांच समिति गठन करने का अधिकार विवि के कुलपति के पास होता है राज्यपाल जो कुलाधिपति हैं के पास इसका अधिकार नहीं है। यह अस्पष्ट है कि राज्यपाल ने ऐसा क्यों किया? संभवत: कुछ संशय की स्थिति रही होगी। इस मामले से पर्दा तब ही उठेगा जब हाईकोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच हो।