चेन्नई. पुलिस का काम कानून- व्यवस्था संभालना, अपराध पर नियंत्रण एवं यातायात को सुचारू करना होता है लेकिन यातायात पुलिस में तैनात एक पुलिसकर्मी महेन्द्रन अपने कर्त्तव्य के साथ ही फुटपाथ पर जीवन बसर करने वाले बच्चों के भविष्य को संवारने में भी मदद कर रहे हैं। कुण्ड्रात्तुर निवासी महेंद्रन फ्लॉवर बाजार पुलिस स्टेशन के पास यातायात को नियंत्रित करते है। बीएससी गणित स्नातक महेंद्रन अपने खाली समय में स्कूली छात्रों को गणित, तमिल और अन्य विषयों को पढ़ाना पसंद करते हैं।
महेन्द्रन कहते हैं. एक दिन जब वे ड्यूटी से लौट रहे थे तब एक छात्रा दीपिका को फुटपाथ पर होमवर्क करते देखा। जब उसकी नोटबुक देखी तो उसकी लिखावट काफी अच्छी थी। इसके बाद उसे गणित और तमिल पढ़ाने में मदद की। दीपिका अब बीजगणित में पारंगत बन गई है। दीपिका पांचवी में पढ़ती है। दीपिका की मां सुधा (36) फ्लॉवर बाजार पुलिस स्टेशन के पास ही फल बेचती है, जबकि उसके पिता रंजीत (40) एक अंत्येष्टि में गाते हैं।
दूसरी जगह जाने पर आजीविका पर असर
महेंद्रन याद करते हैं कि वह मां को सड़क किनारे फल बेचते देखा करती थी और परिवार रात में थाने से सटे कार पार्किंग क्षेत्र के पास सोता था। परिवार को सरकार द्वारा कहीं एक घर आवंटित किया गया था। चूंकि उस जगह पर जाने से उनकी आजीविका प्रभावित होती, इसलिए दंपति ने अपनी बेटियों के साथ शहर में सड़क के किनारे रहने का ही फैसला किया। दीपिका की बड़ी बहन ने दसवीं कक्षा तक पढ़ाई की है।
पूरा परिवार रात में थाने के पास पार्किंग एरिया में सोने को मजबूर
महेन्द्रन कहते हैं. एर्नावुर में सरकार की ओर से मिले आवास में रहना व्यावहारिक रूप से असंभव है क्योंकि यह दीपिका की मां फल बेचने का काम यहां कर रही है। इसलिए पूरा परिवार रात में थाने के पास कार पार्किंग एरिया में सोता है। स्नान और अन्य उद्देश्यों के लिए वे पास में स्थित एक सार्वजनिक सुविधा का उपयोग करते हैं। सुधा कोयम्बेडु के थोक बाजार से फल खरीदती है और उसे मामूली लाभ पर बेचती है।
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