यह सुनकर उसके परिजनों ने युवक के व्यवहार के प्रति सब इंस्पेक्टर को बताया। जब वे आए और उनको युवक की करतूत बताई तो वे भड़क गए और उन्होंने बहस शुरु की दी। इसके बाद बच्ची के परिजनों ने महिला पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के आधार पर महिला पुलिस ने पोक्सो के तहत प्रवीण को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
उल्लेखनीय है कि राज्य अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एससीआरबी) के आंकड़ों से पता चला है कि पीओसीएसओ (पोक्सो) अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत दो वर्ष में चेन्नई में 320 मामले दर्ज किए गए हैं। 2017 और 2018 (11 नवंबर तक) में पंजीकृत 320 मामलों में से पांच मामलों में ही अब तक आरोपी को सजा मिली है। इन मामलों में न्याय में देरी का मुख्य कारण इनमें शामिल अभियोजन पक्ष का उदासीन रवैया होना है। सिस्टम के कई और मुद्दों जैसे बच्चों के प्रति अपराध के लिए विशेष पुलिस का नहीं होने के साथ ही न्यायिक अधिकारियों की कमीं भी है जिसके कारण पीडि़तों को न्याय मिलने में देरी होती है।