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कोरोना काल के असली योद्धा डाकिया, विषम परिस्थितियों में भी डाक बांटकर निभा रहे फर्ज

locationचेन्नईPublished: Jun 08, 2021 05:30:47 pm

Submitted by:

PURUSHOTTAM REDDY

वहीं कोरोना काल में डाकियों की सेवा ने एक बार फिर से खुशियों की सौगात दी है। कोरोना काल में भी डाकिया कर्तव्य में जुटे रहे।

Post service in Corona Lockdown in Chennai

Post service in Corona Lockdown in Chennai

पुरुषोत्तम रेड्डी @ चेन्नई

एक ओर जहां लोग कोरोना संक्रमण को लेकर भयभीत हैं, वहीं डाकिया अपने फर्ज को बिना किसी डर के अंजाम दे रहे हैं। वे लोगों को उनके घरों तक डाक पहुंचा रहे हैं लेकिन डाक सेवा से जुड़े कर्मचारियों को इन दिनों अजीबो-गरीब अनुभव से गुजरना पड़ रहा है। संक्रमण से बचाव को लेकर लोगों की सतर्कता देखकर डाकियों को भी अच्छा लग रहा है लेकिन लॉकडाउन और संक्रमण की बीच लोग डाकिये को डाक घर के किसी एक कोने में डालने को कह जाते हैं, तो कोई लेने से मना कर रहे हैं तो दरवाजे से लौटा रहे हैं जिससे उन्हें परेशान भी होना पड़ रहा है। ‘पत्रिका’ से बातचीत में कुछ डाकियों ने अपना अनुभव साझा किया।

विषम परिस्थितियों में भी डाक बांटना फर्ज

विरुगमबाक्कम में डाक बांटने आए डाकिये कार्तिक ने बताया कि उनके पास विरुगम्बाक्कम के कुछ इलाके हैं। कुछ दिन पूर्व चेन्नई में कोरोना संक्रमण के मामले 7 हजार के पार पहुंच गए थे, तब कई गलियों में कोरोना के मामले 50 से अधिक मरीज थे जिससे उन गलियों को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया गया था। इसके बावजूद कभी कभी आवश्यकता पडऩे पर उन्हें डाक बांटने जाना पड़ता था। ये उनकी ड्यूटी में शामिल है, ऐसी परिस्थिति में सरकार का सभी को साथ देना चाहिए।

 

 

जोखिम तो है लेकिन देश सेवा सर्वोपरि

माधवरम इलाके में डाक बांटने वाले मुरुगन का कहना है कि सालों से वे डाक विभाग की नौकरी कर रहे है लेकिन ऐसी स्थिति जीवन में पहली बार देखी है। पहले बेफिक्र होकर लोगों के घर जाते थे, लेकिन अब माहौल बदल चुका है। हम जब लोगों के घर डाक लेकर जाते हंै तो उनके चेहरे पर खुशी तो होती है लेकिन संदेह भी होता है कि वे कोरोना के चपेट में ना आ जाए। मुरुगन उच्चाधिकारियों के निर्देशों का पालन करते हैं। वर्तमान में डाक बांटना ही सबसे मुश्किल का काम है, क्योंकि उन्हें इस काम के लिए घर घर जाना पड़ता है।

लोगों में कोरोना को लेकर संकोच

एक अन्य डाकिया का कहना है कि कोरोना के संक्रमण का खौफ इस कदर बढ़ चुका है कि डाकिया से डाक लेने से भी लोग बच रहे है। कई लोग डाक लेने से ही इनकार कर रहे हैं तो वहीं कुछ लोग डाक गेट के नीचे से सरकाने को कह रहे हैं तो कुछ बाउंड्री में फेंकने को। बाउंड्री के भीतर आई डाक सेनिटाइज कर उठा रहे हैं। वहीं रजिस्टर्ड डाक रिसीव करने के बाद पेन बाहर फेंकने वाले भी हैं। कुछ लोग घर के एक कोने में डाक डालकर कई दिनों तक छोड़ देते हैं, अगली बार उनके घर डाक लेकर जाने पर वे ये अनुभव साझा करते हंै।

एक वरिष्ठ नागरिक तंबीदुरै का कहना है कि डाकिया पहले संदेश लेकर आते थे तो खुशियों की लहर दौड़ जाती थी। समय के साथ पहले कोरियर फिर ऑनलाइन ने डाकिया की जगह ले ली। वहीं कोरोना काल में डाकियों की सेवा ने एक बार फिर से खुशियों की सौगात दी है। कोरोना काल में भी डाकिया कर्तव्य में जुटे रहे।

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