चेन्नई

कोरोना के प्रति नकारात्मक खबरों ने पोल्ट्री बिजनस को किया चौपट

शुरुआत में फैली अफवाहों से अब तक नहीं उबरा पोल्ट्री उद्योग संक्रमण प्रसार के शुरुआती दौर में लोग अंडे व चिकन खरीदने से बचते रहे

चेन्नईAug 06, 2020 / 05:45 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

poultry industry

चेन्नई. देशव्यापी लॉकडाउन ने पोल्ट्री बिजनस से जुड़े लोगों की हालत पतली कर दी। हालात ऐसे हो गए कि किसानों को कम दाम पर अंडे एवं मुर्गियां बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा। पहले अंडे व चिकन को कोरोना वायरस के साथ जोड़कर देखने एवं बाद में लॉकडाउन के चलते पोल्ट्री उद्योग संभल ही नहीं सका। फरवरी व मार्च के महीने में जब भारत में कोविड-19 के शुरुआती मामले आने लगे थे, तब इस तरह की गलत अफवाहें फैला दी गई कि अंडे व चिकन का सेवन नहीं करें। समूचे लॉकडाउन में इसका असर देखने को मिला। हालांकि बाद में यह स्पष्टीकरण भी दिया गया कि अंडे या चिकन से किसी तरह का कोई संक्रमण नहीं फैल रहा है लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और बहुत नुकसान हो गया था।
आवाजाही पर प्रतिबंध का असर भी
लॉकडाउन के चलते आवाजाही पर प्रतिबंध होने के चलते भी अंडे व चिकन का परिवहन नहीं हो पाया। हालात यह हो गई कि कई पोल्ट्री फार्म दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गए। चिकन के लिवाल नहीं मिल रहे थे तो किसानो को मुर्गियों के लिए दाना-पानी का इंतजाम करना भारी पड़ गया। पोल्ट्री सेक्टर मक्का व तिलहन के किसानों को भी बाजार उपलब्ध कराता है। ऐसे में ये किसान भी सीधे तौर पर प्रभावित हुए। इन फसलों के दाम भी घट गए।
जीडीपी में 1.3 लाख करोड़ का योगदान
पोल्ट्री बिजनेस से जुड़े लोगों की मानें तो पोल्ट्री उद्योग से करीब दस लाख पोल्ट्री किसानों को रोजगार मिल रहा है। देश की जीडीपी में 1.3 लाख करोड़ का योगदान है। इनका कहना है कि लम्बे समय से पोल्ट्री व्यवसाय घाटे में ही चल रहा है। पिछले साल पोल्ट्री फीड महंगा था। साल के आखिरी तक जाकर कुछ फायदा हुआ लेकिन अब फिर नई बीमारी आ गई।

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