धर्म की यात्रा के लिए शक्ति चाहिए
भगवान महावीर के अनेकान्त सिद्धान्त के परिपालन से घर, परिवार और समाज के वातावरण में समरसता और खुशहाली लाई जा सकती है । जहां एकांतवादी दृष्टिकोण है वहां स्वयं को सही और अन्य को गलत समझने की वृत्ति है जो कि संघर्ष और हिंसा का प्रमुख कारण है। व्यक्ति को वैचारिक सहिष्णुता के सद्गुण का विकास करना चाहिए । धर्म की यात्रा के लिए शक्ति चाहिए और शक्ति का केंद्र युवावस्था है। धर्म के कार्य को बुढ़ापे पर टालना स्वयं के साथ धोखे के सिवाय कुछ भी नहीं है।
भगवान महावीर के अनेकान्त सिद्धान्त के परिपालन से घर, परिवार और समाज के वातावरण में समरसता और खुशहाली लाई जा सकती है । जहां एकांतवादी दृष्टिकोण है वहां स्वयं को सही और अन्य को गलत समझने की वृत्ति है जो कि संघर्ष और हिंसा का प्रमुख कारण है। व्यक्ति को वैचारिक सहिष्णुता के सद्गुण का विकास करना चाहिए । धर्म की यात्रा के लिए शक्ति चाहिए और शक्ति का केंद्र युवावस्था है। धर्म के कार्य को बुढ़ापे पर टालना स्वयं के साथ धोखे के सिवाय कुछ भी नहीं है।
निर्णय लेकर लक्ष्य को पाने में जुट जाएं
जीने के लिए हमें गिनती के श्वास मिले हैं। उसी सीमित समय के भीतर हमें अपने जीवन के परम लक्ष्य को पाना है। आत्मिक उन्नति के साथ-साथ हम निष्काम भाव से दूसरों की मदद भी कर सकते हैं। एक बार निर्णय लेने के बाद फिर हम उस लक्ष्य को पाने में जुट जाएं। राजकुमार कोठारी ने संचालन किया । बुधवार को मुनि का प्रवचन सवेरे 9 से 10 बजे तक यहीं पर होगा।
जीने के लिए हमें गिनती के श्वास मिले हैं। उसी सीमित समय के भीतर हमें अपने जीवन के परम लक्ष्य को पाना है। आत्मिक उन्नति के साथ-साथ हम निष्काम भाव से दूसरों की मदद भी कर सकते हैं। एक बार निर्णय लेने के बाद फिर हम उस लक्ष्य को पाने में जुट जाएं। राजकुमार कोठारी ने संचालन किया । बुधवार को मुनि का प्रवचन सवेरे 9 से 10 बजे तक यहीं पर होगा।