scriptसाठ साल से बाट जोह रहे अलॉटमेंट की | Problems in slums, chennai: Water problem | Patrika News

साठ साल से बाट जोह रहे अलॉटमेंट की

locationचेन्नईPublished: Oct 18, 2019 06:24:30 pm

Submitted by:

Dhannalal Sharma

महानगर में बसी कच्ची बस्तियों (slums) में बड़ी संख्या में ऐसी भी हैं जिनको 50-60 साल से भी अधिक (More than 50-60 years) समय हो गया लेकिन आज तक अलॉटमेंट (allotment) नहीं मिला।

साठ साल से बाट जोह रहे अलॉटमेंट की

साठ साल से बाट जोह रहे अलॉटमेंट की

चेन्नई. आकलन किया जाए तो महानगरों की स्थिति किसी भी रूप से सही नहीं कही जा सकती, क्योंकि महानगर का जितना अधिक प्रसार होता है समस्याएं भी उतनी ही अधिक होती है। चाहे वह पेयजल की हो या रहवास की, सफाई की हो या मच्छरों की पैदावार की, आवागमन हो अथवा यातायात की। इन बड़े शहरों में काफी कोशिश के बाद भी समस्याओं का पूरी तरह समाधान नहीं हो पाता। यदि देश के चार महानगरों की सुविधाओं पर गौर किया जाए तो चेन्नई सबसे बेहतर शहर है। इसमें न तो रहवास व पेयजल की समस्या है और न ही टे्रेफिक एवं आवागमन की। इस शहर की चौड़ी सड़कों की वजह से यातायात कम ही बाधित होता है। यदि इस शहर में सबसे बड़ी समस्या है तो वह है यहां बसी करीब दो हजार कच्ची बस्तियां और शहर के बीच से गुजरने वाली दो नदियों के दूषित पानी से पैदा होने वाले मच्छर।
बस्तियोंं को बसाने के बावजूद संख्या नहीं घटी
महानगर में बसी कच्ची बस्तियों में बड़ी संख्या में ऐसी भी हैं जिनको 50-60 साल से भी अधिक समय हो गया लेकिन आज तक अलॉटमेंट नहीं मिला। दूसरी ओर जिनको अन्य जगह बसा दिया जाता है वे सुविधाओं का बहाना बनाकर फिर उसी जगह आकर बस जाते हैं। ऐसे में इन बस्तियों की संख्या कम होती ही नहीं।
सरकार बसा देती है सुविधाएं नहीं देती
सरकार इन कच्ची बस्तियों के लोगों को घर तो बनाकर दे देती है लेकिन न तो वहां पेयजल एवं शौचालय और न ही स्कूल व खेल मैदान आदि सुविधाएं मुहैया करवाती है। वहां बसने पर उनकी सबसे बड़ी परेशानी होती है रोजगार का अभाव। ऐसे में वे वहां मकान को किराये पर देकर नई जगह आकर बस्ती बसा लेते हैं। लेकिन कुछ कच्ची बस्तियां ऐसी भी हैं जिनमें लोग पचास-साठ साल से बसे होने के बावजूद अलॉटमेंट के लिए तरस रहे हैं। ऐसी ही कच्ची बस्ती है सत्यवानी मुत्तु नगर। इसी से जुड़े हैं इंद्रा गांधी नगर व गांधी नगर। यह बस्ती साठ साल पहले बसी थी जो पार्कटाउन रेलवे स्टेशन के पास से गुजरते गंदे पानी के नाले के किनारे स्थित है। करीब एक किलोमीटर एरिया में पसरी इस बस्ती में करीब १५०० परिवारों का रहवास है।
सुविधाओं का अभाव
सत्यवानी मुत्तु नगर में सुविधाओं का पूरी तरह अभाव है। पूरी बस्ती में केवल पांच शौचालय हैं और उनकी समय से सफाई नहीं होती। पूरा सप्ताह गुजर जाता सफाईकर्मियों के आने में। इसी का परिणाम है कि चारों ओर कचरा पसरा रहता है। न यहां स्कूल व बच्चों के खेलने का ग्राउंड है, न ही मेट्रो वाटर की सुविधा। स्कूल चिंताद्रिपेट व आइस हाउस में है जबकि राशन की दुकान भी एक किलोमीटर दूर है। यहां घरों में मेट्रो वाटर का नल नहीं लगा है बल्कि वाटर टैंकर से आपूर्ति की जाती है। हैंडपम्प भी कहीं-कहीं ही लगे हैं जिसके कारण लोग दूर से पानी लेकर जरूरतें पूरी करते हैं। ग्राउंड की यहां कोई व्यवस्था नहीं है। बच्चे अण्णा सालै स्थित आइस हाउस के ग्राउंड में खेलकर अपना शौक पूरा करते हैं।
सभी के पास हैं पूरे प्रूफ
तीनों बस्तियों के सभी लोगों के पास राशन कार्ड, पैन कार्ड, आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और स्मार्ट कार्ड आदि पूरे प्रूफ हैं। इसके बावजूद बस्ती पर सरकार की कोई निगाह नहीं है। हालांकि बारिश का पानी इसके किनारे से गुजरते गंदे नाले में निकल जाता है जिससे जल जमाव नहीं होता। परेशानी यह है कि इस नाले में पैदा होने वाले मच्छरों से बस्ती में बीमारियों का प्रकोप होता रहता है।

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