प्रोफेसर महेश पंचागनुला ने कहा, पिछले लम्बे समय से इस तरह की सफल परियोजनाएं की जा रही है। आईआईटी मद्रास प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। शोध को वैश्विक स्तर पर गति मिली है। सामाजिक मुद्दों पर काम किया जा रहा है। विचारों की विविधता पर काम हो रहा है। इस दौरान बताया गया कि हम किस तरह घरों से निकलने वाले दूषित कचरे को उपयोगी भी बना सकते हैं। साथ ही दूषित पानी को भी उपयोग में कैसे ला सकते हैं, इसके बारे में बताया गया।
इसके लिए ग्रामीण इलाकों में बायोगैस संयंत्र की स्थापना की जा सकती है। इससे प्रदूषण के निवारण में भी मदद मिल सकेगी। इसके माध्यम से अपशिष्ट को खाद के रूप में बेचकर धन भी अर्जित कर सकते हैं। अब उद्योग भी इस तरह के प्रोजेक्ट पर काम करने लगे हैं। आईआईटी मद्रास भी कुछ कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहा है।