राज्य परिवहन उपक्रमों (एसटीयू) द्वारा संचालित अधिकतर बसें सडक़ से नदारत रहीं, जिससे सुबह कार्यालय जाने वालों और अन्य लोग को परेशानी का सामना करना पड़ा। चेन्नई में एमटीसी की कुल 3175 बसों में केवल 318 बसे ही सडक़ पर उतरी जिससे लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी। ये बसे कोयम्बेडु, अण्णा सालै, ब्रोडवे और ताम्बरम जैसे बड़े बस टर्मिनस से रवाना हुई। कई रूटों पर तो एमटीसी की बसे नहीं दिखी। लोगों ने ऑटो और मेट्रो टे्रन से सफर किया।
इस दौरान सरकारी महकमे की बसें बस टर्मिनस और स्टैंड के अंदर खड़ी रही। सुबह से लोग अपने गंतव्य की तरफ जाने के लिए बस स्टैंड पहुंचे थे, लेकिन बसें न चलने के कारण उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा।
इस दौरान कुछ ऑटो-रिक्शा वालों के अधिक पैसे लेने की शिकायतें भी मिली। कई लोगों ने उपनगरीय रेल सेवाओं और मेट्रो से यात्रा की। वहीं, राज्य के अन्य शहरों में ये सेवाएं उपलबध नहीं थीं और लोगों को कम संख्या में उपलब्ध सरकारी बसों तथा ऑटो-रिक्शा पर निर्भर करना पड़ा। गौरतलब है कि सरकार की कथित जन-विरोधी आर्थिक नीतियों तथा श्रमिक विरोधी नीतियों के विरोध में केन्द्रीय श्रमिक संगठनों के संयुक्त मंच और विभिन्न क्षेत्रों के स्वतंत्र श्रमिक संगठनों ने दो दिन की हड़ताल का आह्वान किया है।
चेन्नई में सेंटर आफ इंडियन ट्रेड यूनियंस के बैनर तले सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों ने केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए प्रदर्शन किया, जिसमें परिवहन, बीएसएनएल, ऑटो ऑपरेटर और रेलवे के कर्मचारी शामिल है।
केंद्र सरकार पर राष्ट्रीय संपदा को बेचने, श्रम कानून में मालिकों को लाभ पहुंचाने के लिए बदलाव किए जाने, पुरानी पेंशन योजना लागू करने तथा वित्तीय संस्थानों के निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन करते हुए इन कर्मचारियों ने सरकार को व्यापक आंदोलन की चेतावनी भी दी। केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों और श्रमिक विरोधी नीतियों के विरोध में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के ज्वाइंट फोरम और अलग-अलग क्षेत्रों की स्वतंत्र श्रमिक यूनियनों की ओर से इस दो दिवसीय भारत बंद का आह्वान किया गया था।