जिला राजस्व विभाग को यह पता चला कि कुलंदीरनपट्ट गांव के तीन एकड़ क्षेत्र के जलस्रोत पर फसल खड़ी कर दी गई है। साथ ही इस जगह पर अतिक्रमियों ने नारियल के २८ पेड़ भी इन सालों में खड़े कर दिए।
कुछ दिनों पहले विभाग की एक टीम ने वहां का दौरा किया। प्रशासनिक रिकॉर्ड से अतिक्रमण की पुष्टि होने के बाद अतिक्रमियों से जलस्रोत की अवाप्ति की बात की गई। फसल परिपक्व अवस्था में होने की वजह से पहले प्रशासन ने इनको कटाई तक का समय दिया ताकि उनको नुकसान नहीं हो।
ेइस बीच राजस्व अधिकारियों को भनक लगी कि अतिक्रमियों ने इस मामले को न्यायालय ले जाने की ठानी है ताकि इसका निपटारा होने तक वे अपनी फसलें काटते रहें।
संभागीय राजस्व अधिकारी एम. एस. दंडायुधपाणि के अनुसार पहले हमने फसल पकने तक इंतजार करने का निर्णय किया था। लेकिन इस बीच अतिक्रमियों ने अवाप्ति के खिलाफ हाईकोर्ट जाने का निर्णय किया। लिहाजा हमने खड़ी फसल को नष्ट कर जलस्रोत को कब्जे में लेने में देरी नहीं की। गांव के कुछ रसूखदार लोगों ने तीन एकड़ में फैले इस जलीय क्षेत्र पर कब्जा कर रखा था।
अधिकार कार्यकर्ता दुरै गुना के लगातार और निर्भीक प्रयासों की वजह से राजस्व प्रशासन की नजर में अतिक्रमण का यह मामला आया। राजस्व विभाग की एक टीम ने पिछले सप्ताह इस गांव का दौरा किया और अतिक्रमण की बात सही पाई थी।
उनकी रिपोर्ट के बाद जिला कलक्टर उमा माहेश्वरी ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे फसल पकने तक प्रतीक्षा करें। लेकिन मामला दूसरी दिशा में जाते देख अधिकारियों ने फसल को नष्ट करने व नारियल के पेड़ गिरा दिए।