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पर्यूषण पर्व में मिलता है आत्मा के समीप रहने का अवसर

locationचेन्नईPublished: Sep 07, 2018 11:09:22 am

Submitted by:

Ritesh Ranjan

भगवान ऋषभदेव और परमात्मा महावीर स्वामी के शासन में पर्यूषण की परंपरा है जबकि अन्य तीर्थंकरों के शासन में यह परंपरा नहीं है। पर्यूषण पर्व के दौरान हमें आत्मा के समीप रहने का अवसर प्राप्त होता है। यह पर्व हमें दया व करुणा का संदेश देता है।

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पर्यूषण पर्व में मिलता है आत्मा के समीप रहने का अवसर

चेन्नई. अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में विराजित साध्वी कुमुदलता ने गुरुवार को पर्यूषण पर्व आरंभ होने के अवसर पर कहा कि साल भर के लंबे इंतजार के बाद पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व की सुनहरी बेला का आगमन हो गया है। इस महापर्व में सारे पर्व समाहित हो जाते हैं। भगवान ऋषभदेव और परमात्मा महावीर स्वामी के शासन में पर्यूषण की परंपरा है जबकि अन्य तीर्थंकरों के शासन में यह परंपरा नहीं है। पर्यूषण पर्व के दौरान हमें आत्मा के समीप रहने का अवसर प्राप्त होता है। यह पर्व हमें दया व करुणा का संदेश देता है।
इस पर्व के आठ दिनों के दौरान आत्मा में लगे कषाय, राग-द्वेष आदि दागों को मिटाकर आत्मा की शुद्धि के लिए ज्यादा से ज्यादा तपस्या, धर्म ध्यान और परमात्मा की आराधना कर कर्मों की निर्जरा करने का प्रयास करना चाहिए। पर्वाधिराज पर्व हमें अहिंसा सिखाता है। हमें ऐसी चीजों का उपयोग करने से बचना चाहिए जिसमें किसी न किसी प्रकार की जीव हिंसा होती हो। एक रेशम की साड़ी से लेकर जेब में रखा जाने वाला पर्स और कमर में बांधे जाने वाली बेल्ट का निर्माण भी जीव हिंसा से होता है। हमें अहिंसा मार्ग पर चलकर इन वस्तुओं का त्याग कर छोटी-छोटी हिंसा से बचना चाहिए।
उन्होंने भ्रूण हत्या और गौ हिंसा करने वाले इंसान का घर श्मशान के समान है। यह महापाप है। गाय सिर्फ हमें दूध ही नहीं देती बल्कि उसके गोबर से लेकर मूत्र तक सारी चीजें मनुष्य के काम आती है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान चलाकर जहां समाज में बेटियों के प्रति जागरूकता पैदा की जा रही है लेकिन परिवार नियोजन एवं अन्य कारणों से भ्रूण हत्या करना पाप कर्म है। जीव दया के प्रति उन्होंने श्रीकृष्ण के चचेरे भाई नैनकुमार के जीवन प्रसंग का मार्मिक वर्णन करते हुए कहा कि उन्होंने जीव दया के लिए अपनी शादी के समय रथ से उतरकर संयम पथ पर कदम बढ़ा दिए।
साध्वी महाप्रज्ञा ने अपने उद्बोधन में चार प्रकार के श्रावकों का वर्णन किया। उन्होंने कहा पर्यूषण पर्व के आठ दिनों के दौरान हमें त्यागमय जीवन, तपस्या-साधना और वाणी पर नियंत्रण रखेंगे तो जीवन का कायाकल्प हो जाएगा। हमें संकल्प लेना चाहिए कि इन आठ दिनों में किसी को अपशब्द नहीं कहें, तप, त्याग और अहिंसा का पालन करें।
पर्यूषण पर्व के दूसरे दिन शुक्रवार को मातृ दिवस के उपलक्ष्य में देवकी का दान और ममतामयी मां पर विशेष प्रवचन होगा। इसके अलावा शालिभद्र की प्रतियोगिता और गुरु दिवाकर कमला संघ और बहुमंडल द्वारा नाटिका का आयोजन किया जाएगा। यह जानकारी गुरु दिवाकर कमला वर्षावास समिति के चेयरमैन सुनील खेतपालिया ने दी।

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