दक्षिण रेलवे के स्टेशनों पर गत दिनों बड़े पैमाने पर मादक पदार्थों की बरामदगी से यह बात साफ हो गई है कि नशीले पदार्थ से लेकर बेहिसाब नगदी व अवैध रूप से सोने-चांदी के गहनों की सप्लाई का जरिया भी ट्रेन बन गई है। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार झारखंड बंगाल की तरफ से आने वाली ट्रेनें मादक पदार्थों की तस्करी का बड़ा जरिया बन गया है। विशेषकर झारखंड व फिर बगाल इन रूटों के लिए धनबाद-एलेप्पी एक्सप्रेस टेन खास बना हुआ है।
इस ट्रेन से मादक पदार्थ गांजा की तस्करी धड़ल्ले से हो रही है। लम्बी दूरी से आने वाली ट्रेनों में यह टे्रन गांजा तस्करों के लिए वरदान बन चुकी है।
राज्यभर में पहुंचाई जा रही मादक पदार्थ
आरपीएफ के प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त बीरेन्द्र कुमार ने राजस्थान पत्रिका को बताया कि हमनें वर्ष 2021 में गांजा तस्करी के 58 मामले पकड़े जिनमें सबसे अधिक मामले धनबाद एलेप्पी एक्सप्रेस टें्रन से जुड़ी है। उन्होंने बताया कि ट्रेनों के जरिए हो रही गांजे की तस्करी की बड़ी खेप चेन्नई, मदुरै, तिरुचि और दक्षिण तमिलनाडु के स्टेशनों पर उतारी जा रही है। इस बारे में
ईस्ट कोस्ट और पश्चिम रेलवे को भी पत्र देकर रेल अधिकारियों को सतर्क किया है। पत्र में स्पष्ट कहा है कि झारखंड व बंगाल से गांजे की खेप ट्रेनों के जरिए लाई जा रही है। इसलिए सीमा पर ही तस्करों को पकडऩे की पुख्ता व्यवस्था की जाए।
अक्सर पकड़ में आती है मादक पदार्थ
उन्होंने बताया कि पडोसी और लम्बी दूरी से होकर आने वाली ट्रेनों में अक्सर तस्करी का माल पकड़ा जाता है। आरपीएफ से जुड़े लोगों का कहना है कि ट्रेनों के जरिए गांजा, सोना-चांदी, मादक पदार्थ सहित अन्य कई चीजों की तस्करी आसानी से हो जाती है। ट्रेन के टॉयलेट और जनरल बोगी में लावारिस हाल माल छोडकऱ तस्कर दूसरी जगहों पर बैठ जाते हैं। चेकिंग में माल पकड़े जाने पर लावारिस हाल हो जाता है। यदि किसी तरह की चेकिंग से बच गए तो किसी स्टेशन या आउटर पर सामान उतारकर तस्कर फरार हो जाते हैं। ट्रेनों में करीब हर साल सैकड़ों किलो गांजे की बरामदगी होती है।
इसलिए नहीं पकड़ पाती पुलिस
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि गांजा तस्कर महिला समेत अन्य गिरोह के लिए सप्लाई करने में ट्रेन सबसे सुरक्षित तरीका है। ट्रेन में उन्हें जांच व पकड़ में आने की समस्या नहीं रहती। दरअसल, ट्रेन में जीआरपी व आरपीएफ सभी यात्रियों की चेकिंग नहीं करती। लिहाजा, महिला अपने बैग को कपड़ों के साथ रख देती हैं। जांच के दौरान पकड़े जाने पर जीआरपी या आरपीएफ के सामने कोई नहीं आता। स्टेशन से बाहर निकलने के बाद महिलाएं संबंधित तस्कर से संपर्क करती हैं और गांजा सप्लाई कर बेरोक-टोक वापस हो जाती हैं। यही वजह है गांजा तस्करों के लिए ट्रेन रूट सबसे अच्छा माध्यम है।
———-
आरपीएफ ने वर्ष 2021 में कार्रवाई कर बरामदगी की-
गांजे की जब्ती
मामले – 58
गिरफ्तार- 24
वजन – 730 किलो
कीमत- 91.75 लाख
——–
सोने की जब्त
मामले – 7
गिरफ्तार- 10
वजन – 19.38 किलो
कीमत- 8.70 लाख
—-
चांदी की जब्त
मामले – 9
गिरफ्तार- 11
वजन – 422.32 किलो
कीमत- 2 करोड 89 लाख
——–
नगदी की जब्त
मामले – 23
गिरफ्तार- 23
कीमत- 3,44,27,779.54