बारिश ने रोका दीयों का उत्पादन, ऑर्डर कम, मिट्टी मिलने में दिक्कत
चेन्नईPublished: Nov 19, 2022 07:23:53 pm
पारम्परिक दीयों की मांग घटी, कारीगर फाकाकसी में जीने को मजबूर
Rain, low demand dampen hopes of lamp makers


Rain, low demand dampen hopes of lamp makers
पारम्परिक मिट्टी के दीयों की मांग लगातार घट रही है। बारिश ने उत्पादन में खलल डाला है। जलाशय लबालब होने से मिट्टी हासिल करने में पसीना छूट रहा है। कई परिवार पांच पीढ़ियों से दीये बना रहे हैं लेकिन अब वे अगली पीढ़ी को मिट्टी के दीये बनाने की जगह अन्य हुनर सीखा रहे हैं। पड़ौसी केरल-कर्नाटक, तेलंगाना से भी पहले मिट्टी के दीयों के अच्छे ऑर्डर मिलते थे वे अब लगभग बन्द हो चुके हैं। ऐसे में मिट्टी के दीये बनाने वाले कारीगरों के पास अन्य रोजगार तलाशने के लिए अलावा कोई विकल्प भी नहीं है।
कार्तिगई दीपम उत्सव के लिए पारंपरिक मिट्टी के दीपक बनाने वाले अधियामनकोट्टई में कारीगर इस साल अच्छी बिक्री की उम्मीद कर रहे थे लेकिन मांग में इजाफा नहीं होने से वे निराश हैं। कारीगर दीपम उत्सव के लिए विनायक मूर्तियों, नवरात्रि गुड़िया और दीये बनाता हैं। हालांकि लगातार मानसून की बारिश ने दीयों के उत्पादन को प्रभावित किया है। कारीगरों का कहना है कि उन्हें मिट्टी प्राप्त करने में कठिनाई होती है क्योंकि सभी जलाशय लबालब भरे हुए हैं।
पांचवी पीढ़ी दीये बना रही
मै लगभग 30 वर्षों से दीये बना रहा हूं। मैं अपने परिवार में पांचवीं पीढ़ी का कारीगर हूं। धातु के बर्तनों के लोकप्रिय होने के कारण वर्षों में हमारी किस्मत गिरी। कोविड-19 की स्थिति के बाद हमारी स्थिति और खराब हो गई क्योंकि बेंगलुरु, होसुर और तेलंगाना के प्रमुख बाजारों से ऑर्डर बंद हो गए। मुझे यकीन नहीं है कि अगली पीढ़ी इसे करियर के लिए लेगी। अभी हमारे पास बहुत कम ऑर्डर आए हैं, हम इस क्षेत्र में लाखों दीये बनाते थे, लेकिन इस साल हम कुछ हजार दीये बना रहे हैं।
अय्यनार, 52 वर्षीय दीयों के कारीगर।