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rajasthan patrika- amartam jalam, श्रम की बून्दों से निखरा नदी का स्वरूप

locationचेन्नईPublished: Jun 24, 2019 06:23:29 pm

श्रम की बून्दों से निखरा नदी का स्वरूप -राजस्थान पत्रिका के महाभियान अमृतं जलम् के तहत किया वडापेरुम्बाक्कम के पास कस्थलैयर नदी में श्रमदान -श्री गुरु जम्भेश्वर विश्नोई ट्रस्ट समेत विभिन्न समाज एवं संगठन आए आगे -श्रमदान कर जलोतों को सहेजने का दिया संदेश

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चेन्नई. राजस्थान पत्रिका के महाभियान अमृतं जलम् के तहत रविवार को वडापेरुम्बाक्कम के पास कस्थालैयर नदी में श्रमदान किया। चेन्नई मेट्रोपोलिटन क्षेत्र में बहने वाली तीन नदियों में से एक इस नदी से कचरे को बाहर निकाला, झाडिय़ों को हटाया तथा नदी के बीच से मलबे को बाहर किया। प्रवासियों ने निस्वार्थ भाव से श्रमदान में हिस्सा लिया। श्री गुरु जम्भेश्वर विश्नोई ट्रस्ट चेन्नई के साथ ही विभिन्न समाज एवं संगठनों के लोग इस श्रमदान में शामिल हुए।
श्रमदान के जरिए नदी में फैले कचरे को साफ किया तो मलबे को नदी के किनारे डाला। साथ ही झाड़-झंकार को साफ कर नदी को नया स्वरूप प्रदान किया। इस मौके पर नदी के किनारे पौधरोपण करने का संकल्प भी लिया गया। पानी बचाने में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए आमजन उत्साहित है। इस मौके पर प्रवासियों ने कहा कि शहरी लोगों को पानी बचाने एवं उसकी बर्बादी रोकने के लिए जागरुक होना होगा। अमृत जलम कार्यक्रम करके बेहद सुखद अनुभूति हुई। प्रवासियों ने विश्वास दिलाया कि वे इस तरह के जनहित के कार्य में आगे भी सहभागिता निभाते रहेंगे। लोगों की जागरुकता की दिशा में काम किया जाएगा।
श्रमदान के बाद श्री गुरु जम्भेश्वर विश्नोई ट्रस्ट चेन्नई के उपाध्यक्ष गंगाराम गोदारा ने जल संरक्षण को लेकर शपथ दिलाई। इस अवसर पर गंगाराम खीचड़, श्रवण विश्नोई, मालाराम खीचड़, हनुमान विडारा, ओमप्रकाश मांजू, मोहनलाल सारण, जयकिशन गोदारा, भाकराराम खिलेरी समेत अन्य लोगों ने श्रमदान में हिस्सा लिया।
प्रारम्भ में राजस्थान पत्रिका चेन्नई के मुख्य उप संपादक अशोकसिंह राजपुरोहित ने अमृतं जलम् अभियान की महत्ता को प्रतिपादित करते हुए कहा कि पत्रिका 2004 से इस तरह की मुहिम चला रहा है। मानसून सीजन से पहले जलोंतों का जीर्वोद्वार किया जाता है। जल संरक्षण एवं लोगों में जागरुकता का प्रयास किया जाता है।
कहा कि जल की एक-एक बूंद कीमती है और इसे बचाना जरूरी है। जल संरक्षण के लिए पत्रिका समूह पिछले डेढ़ दशक अमृतं जलम् अभियान चला आ रहा है। पत्रिका के सामाजिक सरोकारों के तहत इस बार पारम्परिक जलोंतो को गहरा करने, उनके संरक्षण एवं जीर्णोद्वार के कार्य किए जा रहे हैं।
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पर्यावरण के लिए आगे रहा विश्नोई समाज
प्रमुख रूप से उत्तर भारत के राजस्तान, हरियाणा एवं पंजाब में बसने वाला विश्नोई जाति ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया है। जाम्भोजी ने विश्नोई संप्रदाय की स्थापना की। उन्होंने अपने शिष्यों को 29 शिक्षाएं दीं। उनके द्वारा दिए गए 29 नियमोंं से 8 नियम पशु-पक्षियों, वृक्षों एवं पर्यावरण रक्षा से संबंधित है। भगवान जांभोजी के जीावनकाल में मारवाड़ में भयानक अकाल पड़ा। तब जांभोजी ने उन लोगों की सहायता की तथा पर्यावरण की सुरक्षा के लिए प्रेरित किया। ऐसे में विश्नोई समाज सदैव पर्यावरण के प्रति जागरुक रहने के साथ ही जल संरक्षण के लिए तत्पर रहता आया है।
-गंगाराम गोदारा, उपाध्यक्ष, श्री गुरु जम्भेश्वर विश्नोई ट्रस्ट, चेन्नई।
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सामूहिक प्रयास से सब कुछ संभव
प्राकृतिक जलोत के संरक्षण के लिए आगे आएं। हमें यह भी प्रयास करना होगा कि तालाब भी स्वच्छ रहे तथा इसमें प्रदूषण भी न हो। सामूहिक प्रयासों से सब कुछ संभव है। समय रहते जलोतों को सहेजने की जरूरत है। जल अनमोल है। सोच-समझ कर ही इसका उपयोग करना चाहिए। जिस तरह जल को लेकर समूचे देश में हाहाकार मचा हुआ है, इस दिशा में भी हमें सोचना चाहिए। इस तरह के अभियान आगे भी चलते रहें।
-भोमराज जांगीड़, अध्यक्ष, श्री विश्वकर्मा जांगीड़ ब्राह्मण समाज, चेन्नई।
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सिर साठै रूंख रहे…
जोधपुर के पास खेजड़ली में पेड़ों की रक्षार्थ 363 लोगों ने अपने प्राणों का न्यौछावर कर दिया था। विश्नोई संप्रदाय के प्रवर्तक गुरु जम्भेश्वर का संदेश सिर साठै रूख रहे तो भी सस्तौ जाण…आज भी विश्नोई समाज निभाता आ रहा है। यानी प्राणों की आहूति देकर भी पेड़ों की रक्षा करना है। इसी तरह विश्नोई समाज मरते दम तक पेड़ों से चिपक कर उनकी रक्षा सदियों से करता आया है। खेजड़ली में पेड़ों की रक्षा के लिए विश्नोई समाज ने जो बलिदान दिया, वो मानव इतिहास में अद्वितीय है। ऐसे में विश्नोई समाज के लोग आज भी पानी बचाने, पर्यावरण बचाने, पेड़ बचाने के लिए सदैव आगे रहे हैं।
-भाखराराम कुराड़ा, कोषाध्यक्ष, श्री गुरु जम्भेश्वर विश्नोई ट्रस्ट चेन्नई।
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पत्रिका की पहल सराहनीय
राजस्थान पत्रिका की यह पहल सराहनीय है। जल हैं तो जीवन हैं। जल तभी होगा जब जल के प्राचीन ोंत भी अस्तित्व में रहेंगे। पत्रिका का यह अभियान प्रेरणादायक है। पत्रिका इसके लिए बधाई की पात्र है।
हमें जल संरक्षण की दिशा में काम करने की जरूरत है। घरों में वर्षा जल संग्रहण की व्यवस्था की जानी चाहिए। यदि वर्षा जल को पहले से संग्रहित करने के उपाय कर लिए जाएं तो जल संकट की एक बड़ी समस्या का समाधान निश्चित रूप से हमें मिलेगा। इस पर हमें विचार करना चाहिए।
-चम्पालाल प्रजापत, सामाजिक कार्यकर्ता।
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देश भर में चलें ऐसे अभियान
जिस क्षेत्र में विश्नोई समुदाय निवास करता हैं। उस संपूर्ण क्षेत्र में किसी व्यक्ति को हिरण, खरगोश, नीलगाय आदि वन्य जीवों का शिकार नहीं करने दिया जाता। खेजड़ी के हरे वृक्ष को नहीं काटने दिया जाता। इसके लिए विश्नोई समाज का प्रत्येक व्यक्ति सजग रहता है। इस तरह के कार्यक्रम पूरे देश में चलाए जाएं तो पूरा देश स्वच्छ हो जाएं। सफाई से बड़ी कोई चीज नहीं। स्वच्छा के ऐसे कार्यक्रमों में हम बढ़चढ़कर हिस्सा लें।
-राजूराम सोऊ, सह सचिव, श्री गुरु जम्भेश्वर विश्नोई ट्रस्ट, चेन्नई।
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रोकनी होगी जल की बर्बादी
हमेें खुद के साथ ही यदि आने वाली पीढ़ी को यदि खुशहाल देखना है तो जल की बर्बादी रोकनी होगी। जलों को सुरक्षित व स्वच्छ रखने का अभियान सराहनीय है।राजस्थान पत्रिका समूह की ओर से लम्बे समय से पर्यावरण, जल संचय एवं सफाई जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर लोगों को जागरुक कर रही है। सभी को साथ मिलकर ऐसे प्रयासों को गति देनी चाहिए ताकि जल का संरक्षण होने के साथ ही पर्यावरण भी सुरक्षित रह सकें।
-मोहनलाल गोदारा, सामाजिक कार्यकर्ता।
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