मद्रास उच्च न्यायालय ने फिलहाल इस बारे में कोई फैसला नहीं किया है।
ज्ञातव्य है कि पांच अगस्त को एक अन्य दोषी नलिनी श्रीहरन को अदालत ने मानवीय दृष्टिकोण से 30 दिन की पेरोल दी थी। जिसे बाद में 21 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया।
इस महीने के शुरुआत में नलिनी ने फिर पेरोल बढ़ाने के लिए याचिका दी थी जिसे मद्रास उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था।
मई 1991 में हुए इस हत्याकांड में साजिश रचने के आरोप में सात लोगो को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या एलटीटीई के आत्मघाती हमलावारों ने तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली के दौरान की थी । जिसमें उनके साथ 14 लोगो की भी मौत हुई थी ।