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Rajiv Gandhi assassination : कोर्ट ने ५ जुलाई को नलिनी को व्यक्तिगत सुनवाई की दी अनुमति

locationचेन्नईPublished: Jun 26, 2019 03:09:53 pm

Submitted by:

shivali agrawal

देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्या former Prime Minister Rajiv Gandhi assassination मामले में आजीवन कारावास life imprisonment की सजा काट रही नलिनी श्रीहरन को कोर्ट ने मंगलवार को स्वीकार कर उन्हें आगामी 5 जुलाई को व्यक्तिगत रूप in person से पेश होकर बहस करने की अनुमति प्रदान की है।

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Rajiv Gandhi assassination : कोर्ट ने ५ जुलाई को नलिनी को व्यक्तिगत सुनवाई की दी अनुमति

चेन्नई. देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्या former Prime Minister Rajiv Gandhi assassination मामले में आजीवन कारावास life imprisonment की सजा काट रही नलिनी श्रीहरन को कोर्ट ने मंगलवार को स्वीकार कर उन्हें आगामी 5 जुलाई को व्यक्तिगत रूप in person से पेश होकर बहस करने की अनुमति प्रदान की है। कोर्ट ने उस यह अनुमति उसके द्वारा एक याचिका छह महीने की छुट्टी के लिए दायर याचिका की सुनवाई करते हुए दी। यह छुट्टी उसने अपनी बेटी की शादी की तैयारी करने के लिए मांगी थी। न्यायाधीश एम. एम. सुंदरेशन और एम. निर्मल कुमार की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई के दौरान ५ जुलाई को दोपहर 2.15 बजे उसे इस मामले में बहस debate करने के लिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की अनुमति दी है। नलिनी चाहती है कि अदालत वेलूर स्थित विशेष महिला जेल के एसपी को उसे कोर्ट में हाजिर करके अपना पक्ष रखने देने का निर्देश दे।
याचिकाकर्ता नलिनी के अनुसार एक दोषी दो साल में एक बार एक महीने की छुट्टी पाने का हकदार होता है। उसे जेल में 27 साल से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन उसने कभी भी इस तरह की साधारण छुट्टी का लाभ नहीं मिला। उन्होंने 25 फरवरी को जेल के अधिकारियों को एक आवेदन देकर छह महीने की छुट्टी मांगी थी, ताकि अपनी बेटी की शादी के लिए व्यवस्था कर सके। नलिनी को राजीव गांधी हत्या मामले को लेकर मौत की सजा death sentence सुनाई गई थी, उसके बाद 24 अप्रैल 2000 को तमिलनाडु सरकार ने मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया था। उसने दावा किया कि मौत की सजा को उम्रकैद में बदले जाने के बाद ऐसे 3,700 कैदियों को तमिलनाडु सरकार ने रिहा कर दिया था जो दस साल से अधिक सजा काट चुके थे।
नलिनी ने कहा 1994 में आजीवन दोषियों की रिहाई की योजना के तहत समय से पहले रिहा करने के मेरे अनुरोध को मंत्रिपरिषद ने मंजूरी दे दी थी और 9 सितंबर, 2018 को काउंसिल ने राज्यपाल को मुझे और अन्य छह आजीवन दोषियों को रिहा करने की सलाह दी, लेकिन छह महीने से अधिक हो गए हैं और राज्य के निर्णय को अभी भी लागू नहीं किया गया है।
एआईएडीएमके सरकार ने राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को सात दोषियों की रिहाई की सिफारिश करते हुए एक प्रस्ताव भेजा था। मुख्यमंत्री एडपाडी के. पलनीस्वामी ने कहा था कि उनकी सरकार दोषियों की रिहाई के लिए प्रतिबद्ध है और उम्मीद है राज्यपाल उनको मुक्त करने के लिए कैबिनेट की सिफारिश मंजूर करेंगे। इससे पहले नलिनी की मां ने गत 22 मार्च को इसी तरह का आवेदन किया था, लेकिन सरकार ने उसे मंजूर नहीं किया, जिसके बाद नलिनी की मां ने कोर्ट में याचिका दायर की। उल्लेखनीय है कि इस मामले में अदालत ने गत 11 जून को कहा था कि नलिनी के अधिकार के लिए उसकी याचिका पर बहस करने के अधिकार को अस्वीकार नहीं किया जा सकता है।
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