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राममंदिर भूमि पूजन में लगेगी रामेश्वरम की पवित्र मिट्टी

locationचेन्नईPublished: Aug 02, 2020 05:23:32 pm

भगवान राम का विशेष नाता रहा है रामेश्वरम से

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चेन्नई. अयोध्या में 5 अगस्त को प्रस्तावित राम मंदिर के भूमि पूजन व शिलान्यास के बीच रामेश्वरम भी एक बार फिर चर्चा में है। अयोध्या के राम मंदिर में भूमि पूजन के दौरान रामेश्वरम की मिट्टी भी लगेगी। पिछले दिनों कोरोना को देखते हुए यहां रामेश्वरम मंदिर के नजदीक शंकराचार्य मठ मे पूजा की गई। जिसमें स्थानीय गणमान्य लोग, पुजारी व हिन्दू मुन्ननी के सदस्य शामिल हुए। पूजा के बाद रामेश्वरम से यहां की पवित्र मिट्टी को सोने से जडि़त खडाउ में भरकर भेजा गया। अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए देश के अलग-अलग हिस्से से मिट्टी लाई जा रही है।
कॉरिडोर के रूप में विकसित होगा
इस बीच इतिहासकारों ने ऐसी दो सौ जगहों का पता लगाया है जहां राम, सीता व लक्ष्मण अपने 14 साल के वनवास के दौरान ठहरे थे। केन्द्र सरकार ने ऐसे 17 बड़े स्मारकों की पहचान की है जिन्हें कॉरिडोर के तौर पर विकसित किया जा सकता है। इनमें रामेश्वरम भी शामिल है।
द्रविड शैली में गोपुरम
एक एतिहास पुरातत्व के ज्ञाता ने श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को प्रस्ताव भेजा है जिसमें अयोध्या में राम मंदिर के चार प्रवेश द्वार द्रविड शैली के गोपुरम में बनाने और हर गोपुरम के नामकरण की बात कही है। अगर मंदिर के प्रवेश द्वार गोपुरम के अनुरूप बनाने का प्रस्ताव पारित हो जाता है तो राम मंदिर में उत्तर और दक्षिण का अनूठा संगम देखने को मिलेगा।
चार धामों में एक
हिन्दू धर्म के चार प्रमुख धामों में से एक रामेश्वर मंदिर भी है। तमिलनाडु के रामेश्वर द्वीप पर स्थित मंदिर का उल्लेख हिन्दू पुराणों में किया गया है। रामेश्वरम मंदिर को रामलिंगेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है। इस ज्योतिर्लिंग का संबंध भगवान राम से है। रामेश्वरम धर्म और आस्था का एक बड़ा केन्द्र हैं।
लंका पर चढ़ाई
राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले रामेश्वर में भगवान शिव की पूजा की थी। रामेश्वर में भगवान राम ने शिवलिंग भी स्थापित किया। इसे रामेश्वर ज्योतिर्लिंंग के तौर पर जाना जाता है। राम रामेश्वरम से आगे धनुषकोडी गए थे। यहां उन्होंने रामसेतु का निर्माण किया। यह समुद्र की वह जगह हैं जहां से श्रीलंका पहुंचा जा सकता है।
रामनाथ स्वामी की मूर्ति का निर्माण
ऐसा माना जाता है कि यहां पर राम, सीता व लक्ष्मण ने मिलकर भगवान शिव यानी रामनाथ स्वामी की मूर्ति का निर्माण किया था जिसे लोग रामेश्वरम शिव मंदिर के नाम से जानते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान राम ने लंका पर विजय हासिल करने से पूर्व समुद्र के किनारे शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की पूजा की थी। भगवान राम की साधना व भक्ति से भोलेलाथ प्रसन्न हुए और उन्हें विजयश्री का आशीर्वाद प्रदान किया। रामेश्वरम में भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में भगवान राम के कहने पर विराजे। कहा जाता है कि जब भगवान राम ने भगवान शिव से लंका पर विजय आशीर्वाद प्राप्त किया तो भगवान राम ने भगवान शिव से इसी स्थान पर मानव कल्याण के लिए निवास करने का अनुरोध किया। भगवान शिव श्रीराम के इस अनुरोध को टाल नहीं सके और इसी स्थान पर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए।
शिवलिंग की पूजा
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार इस स्थान पर भगवान राम ने बालू से शिवलिंग बनाकर पूजा अर्चना की। इसके पीछे एक वजह और भी बताई जाती है। कहा जाता है कि लंका जाने से पूर्व भगवान राम इस स्थान पर जल पीने लगे तभी आकाशवाणी हुई कि मेरी पूजा किए बिना ही जल पी रहे हो। इसके बाद ही भगवान राम ने बालू से शिवलिंग बनाकर पूजा की। ऐसी मान्यता है कि जो भी यहां सच्चे मन से आता है भगवान उसकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। सावन मास में इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन बहुत शुभ माने जाते हैं। माना जाता है कि यहां पर भगवान शिव की पूजा करने से बड़े से बड़े पाप से मुक्ति मिल जाती है।
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