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आचार्य आनंदऋषि के गुणों का स्मरण कर पुण्य की प्राप्ति करें

locationचेन्नईPublished: Aug 13, 2018 12:08:17 pm

Submitted by:

Santosh Tiwari

-१००८ अठ्ठाई के साथ मनाया ११९वां जन्मोत्सव – आचार्यों एवं साध्वीवृंद ने दिया सान्निध्य

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आचार्य आनंदऋषि के गुणों का स्मरण कर पुण्य की प्राप्ति करें

चेन्नई. उपाध्याय श्री प्रवीणऋषिजी चातुर्मास समिति व आचार्य आनंद जन्मोत्सव समिति के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को नॉर्थ टाउन, बिन्नी मिल, पेरम्बूर में आचार्य आनन्दऋषि का ११९वां जन्मोत्सव एवं अठ्ठाई तप महोत्सव हुआ। उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि, तीर्थेशऋषि, आचार्य मज्ज्जिनपूर्णानन्द, आचार्य पुष्पदन्तसागर, उपप्रवर्तक विनयमुनि व गौतममुनि, मुनि संयमरत्नविजय व भाग्यचन्द्रविजय, साध्वीवृंद कुमुदलता, अक्षयप्रज्ञा, मधुस्मिता व धर्मप्रभा के सानिध्य में आयोजित महोत्सव की शुरुआत में उपाध्याय प्रवर ने अपनी दीक्षा के बाद आचार्य आनन्दऋषि के प्रथम चातुर्मास में शामिल होने पर प्रकाश डालते हुए बताया किदेवी हुलसा की कुक्षि से जन्मे नेमकुमार ने बाल आयु में ही संयम, चरित्र और तप के अनुगामी बन चरित्र का कठोर संकल्प लेकर रत्नऋषि के कठोर अनुशासन में रहते हुए धर्म के अनमोल मोती बन निखरे। उनकी मां ने उनको गुरु रत्नऋषि के पास ९ वर्ष की आयु में ही प्रतिक्रमण सीखने की जो प्रेरणा देकर अध्यात्म और धर्म का बीजारोपण किया था। फिर उनके कदम बढ़ते ही गए और वे धर्म और अध्यात्म की ऊंचाई को छूते चले गए। उन्होंने कहा गुरुदेव के इस स्मरणीय जन्मोत्सव पर हमें कटिबद्ध होकर समाज की बुराइयों का उन्मूलन करना है तभी हमारा यह जन्म जयंती मनाना सार्थक होगा और अपने जीवन को परम पावन बना पाएं। तीर्थेशऋषि एवं श्रद्धालुओं ने गीतिका पेश की।
श्री आनन्द जन्मोत्सव समिति के चेयरमैन धर्मीचंद सिंघवी ने सभी गुरुदेवों, साध्वीवृंद और अतिथियों का स्वागत किया और तपस्वियों की अनुमोदना की।
साध्वी धर्मप्रभाजी ने कहा जिन शासन के महान संत आचार्य ने जीवन में संयम और तप का संग्रह किया। ऐसे संयम और अनुशासन पथ के अनुगामी महापुरुष के जीवन से प्रेरणा लें। साध्वी कुमुदलताजी ने कहा उनके विचारों और अनुशासन को जीवन में उतारें और वास्तव में उन्हें जीएं तो यह उनके लिए हमारी सच्ची श्रद्धांजलि और उनका जन्मोत्सव मनाना सार्थक होगा।
साध्वी अक्षयप्रभा ने कहा आचार्य जिनशासन के उज्वल गगन के विशाल सूर्य थे जिनके विचार और यशोगाथा हमेशा इस जगत को प्रकाशमान करते रहेंगे। उन्होंने अपने जीवन में अनेक झंझावातों को पार करके तप, त्याग, संयम, साधना और चरित्र के बल पर जगत के सामने उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया।
उपाध्याय श्री प्रवीणऋषिजी चातुर्मास समिति के अध्यक्ष अभयकुमार श्रीश्रीमाल और स्वयं के विचार व्यक्त करते हुए महामंत्री अजीत चोरडिय़ा ने कहा जब-जब इस धरा पर मानवीय मूल्यों की हानि होती है, आचार्य आनन्दऋषि जैसे महापुरुषों का जन्म होता है, ऐसे ही महापुरुष आचार्य भगवंत है। अपने जीवन में अनेक बाधाओं को पार करके शिखर पर पहुंचे ऐसे सरल, गंभीर, ओजस्वी, मधुरवाणी और तेजस्विता के धनी जिन्होंने भगवान महावीर के विचारों को आगे बढ़ाया और जन-जन की आस्था के केन्द्र बने, ऐसे महापुरुष को हम बारंबार नमन करते हुए उनका अनुकरण करें। गुरु आनन्द फाउंडेशन के सतीश सुराण ने भी विचार व्यक्त किए।
गौतममुनि ने आचार्य ने ३० वर्षों तक श्रमण संघ के आचार्य पद का संचालन किया और जैन धर्म की मूलभूत शिक्षाओं को जन-जन के मन का आधार बनाया। आज के समय में उनकी शिक्षाओं की हमारे समाज को आवश्यकता है।
आचार्य मज्ज्जिनपूर्णानन्द ने कहा आचार्य ने अन्तर और बाह्य दोनों साधना के शिखर को छूआ है। यदि जिनशासन को प्रभावशाली बनाना है तो धनवालों की नहीं दिलवालों की आवश्यकता है। मुनि संयमरत्नविजय ने गीतिका के रूप में आचार्य की जीवनगाथा प्रस्तुत की।
आचार्य पुष्पदंतसागर ने कहा आचार्य अपने आत्मा के स्वभाव में रहे और धर्म की ऊंचाइयों को छूआ। हमें उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारकर अपने भेदभाव भुला आपसी संबंधों को पुन: ऊर्जा देना है एक दूसरे को संभालना है। आचार्य पूर्णानंदसूरीश्वर ने कहा महापुरुषों का जीवन अपने आप में विशिष्ट होता है। उनके गुणों का स्मरण करें और पुण्य की प्राप्ति करते हुए जीवन सफल बनाएं।
धर्मीचंद सिंघवी ने कार्यक्रम में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग देने वाली सभी संस्थाओं, समितियों, उपसमितियों, नॉर्थ टाउन वालंटीयर्स का आभार जताया। कार्यक्रम में लगभग दस हजार लोगों ने हिस्सा लिया।
समारोह में गौतमचंद कांकरिया, धर्मीचंद सिंघवी, कमल खटोड़, यशवंत पुंगलिया, महावीर सुराणा, कमल छल्लाणी, गौतमचंद गुगलिया के साथ ही नवरतनमल चोरडिय़ा, अभयकुमार श्रीश्रीमाल, पदमचंद तालेड़ा, अजीत चोरडिय़ा, जेठमल चोरडिय़ा, किशन तालेड़ा, यशवंत पुंगलिया का विशेष सहयोग रहा। समारोह में महानगर एवं अन्य शहरों व प्रदेशों से गणमान्य लोग उपस्थित थे।
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन महिला महामंडल, श्री आनन्द तीर्थ महिला परिषद एवं नॉर्थ टाउन महिला मंडल, गुरु आनन्दऋषि फाउंडेशन, अर्हम विजा आदि संस्थाओं के पदाधिकारियों द्वारा अल्पायु में प्रतिक्रमण, भक्तामर स्तोत्र कंठस्थ करने वाले बच्चों व उनकी मां को ‘मां हुलसा पुरस्कार से सम्मानित किया। समारोह में उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि की सांसारिक माता चंपादेवी भी उपस्थित थी। साथ ही तपस्यार्थी स्वागत लाभार्थी परिवार के के.देवराज नवरतनमल चोरडिय़ा, अभयकुमार, मयूरकुमार, दीपककुमार श्रीश्रीमाल, चैनराज पदमचंद, अरिहंत, किशन तालेड़ा परिवार और आनन्द जन्मोत्सव के सहयोगी परिवारों का अभिनन्दन किया गया।
समारोह में शासन प्रभावना का अनूठा उपक्रम के २१ कुष्ठ रोगियों एवं ४ नेत्रहीन, कर्मणा जैन द्वारा अठ्ठाई करने का संकल्प सहित १००८ अठ्ठाई की तपस्याओं की भेंट आचार्य को समर्पित की गई। सभी तपस्यार्थियों का अभिनन्द और अनुमोदना की गई।
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