scriptOnline Class : ऑनलाइन क्लास के बहाने परिवार के निजी पलों की भी रिकॉर्डिंग | Recording of family's private moments on the pretext of online class | Patrika News
चेन्नई

Online Class : ऑनलाइन क्लास के बहाने परिवार के निजी पलों की भी रिकॉर्डिंग

– 34 ऐप्स Apps अपनी जगह से 4.6 मीटर तक जासूसी spying और रिकॉर्डिंग करते पाए गए- 130 एजुकेशन ऐप्स/वेबसाइटों ने बच्चों के साथ परिवार की निजता तार-तार की- 23 वेबसाइटों ने पूरे सेशन की माइक्रो लेवल रिकॉर्डिंग Recordings तीसरे पक्ष को भेजी- ०8 ऐप्स फैक्टरी रीसेट के बाद भी सक्रिय, 14 ऐप्स बिना पासवर्ड वाईफाई से जुड़ गए- 14 ऐप्स बिना वाईफाई पासवर्ड चलते, 08 वेबसाइटों ने फिंगरप्रिंटिंग ट्रैक किए

चेन्नईJun 13, 2022 / 08:12 pm

arun Kumar

Online Class : ऑनलाइन क्लास के बहाने परिवार के निजी पलों की भी रिकॉर्डिंग

Online Class : ऑनलाइन क्लास के बहाने परिवार के निजी पलों की भी रिकॉर्डिंग

अरुण कुमार
जयपुर. कोरोना में ऑनलाइन क्लास Online Class के दौरान बच्चों ही नहीं बल्कि पूरे परिवार की जासूसी कर निजता को 130 एजुकेशन ऐप्स और वेबसाइटों ने तार-तार किया। ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) human right watch ने ऐसे 39 मोबाइल ऐप्स Mobile Apps और 91 वेबसाइटों Websites को जांच में बच्चों के साथ परिवार की जासूसी Family spying करते पाया। देश के 78 फीसदी बच्चे माता-पिता या पारिवारिक सदस्यों के मोबाइल से वर्चुअल क्लास कर रहे थे। क्लास खत्म होने के बाद भी बच्चों या परिवार के जिस सदस्य के पास मोबाइल रहता था 34 ऐप्स उसकी ट्रैकिंग करते थे। इस दौरान परिवार के तमाम निजी पलों को भी एजुकेशन ऐप्स ने थर्ड पार्टी को शेयर किया। ये ऐप्स अपने स्थान से 4.6 मीटर तक टै्रकिंग और रिकॉर्डिंग करने में सक्षम पाए गए। भारत में सबसे ज्यादा बच्चों की जासूसी महाराष्ट और उत्तर प्रदेश में की गई।
गूगल मीट, गूगल क्लासरूम और जूम ने भी कई देशों में फ्री यूजर्स की ट्रैकिंग की। एचआरडब्ल्यू ने पाया कि ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने वाली 23 वेबसाइटों ने पूरे सेशन की रिकॉर्डिंग कर तीसरे पक्ष को भेजी। इसमें माउस क्लिक, कीस्ट्रोक, पेज पर टॉइपिंग, बच्चे का सिर खुजलाना या फिर पेंसिल मुंह मेंं डालना तक रिकार्डिंग में पाया गया।
14 ऐप्स ऐसे पाए गए जो कहीं भी वाई-फाई कनेक्टीविटी मिलते ही बिना पासवर्ड सक्रिय हो जाते थे और मीडिया एक्सेस कंट्रोल (मैक) के मार्फत इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी (आईएमईआई) नंबर तक थर्ड पार्टी को भेजते थे। इनमेंं से 8 ऐप्स ऐसे थे जो फैक्टरी रीसेट के बाद भी सक्रिय रहे। इन ऐप्स ने भारत समेत दुनियाभर के 6.5 अरब लोगां के मोबाइल आईएमईआई नंबर चोरी किए।
25 वेबसाइटों में से आठ को इंटरनेट पर फिंगरप्रिंटिंग ट्रैक करते हुए पाया गया। इन वेबसाइट्स कंपनियों ने हर दिन करीब डेढ लाख रिकार्डिंग कीं। खास बात है कि इनमें आठ देशों की सरकारी वेबसाइट्स भी शामिल हैं।

कंपनियों को भेजी जांच रिपोर्ट और मांगी सफाई
ह्यूमन राइट्स वॉच ने जांच के बाद रिपोर्ट 199 एजुकेशनल प्लेटफार्म कंपनियों और 49 सरकारों को भेजी लेकिन 78 कंपनियों और 10 सरकारों के अलावा किसी ने जवाब नहीं दिया। 7 देशों- अर्जेंटीना, चिली, फ्रांस, जर्मनी, जापान, मोरक्को, स्पेन ने सरकारी एजुकेशन प्लेफार्मों पर बच्चों की निजता पूरी तरह सुरक्षित रखने की बात कही। कई देशों ने तो रिपोर्ट पर ही सवाल उठा दिए।

छह देशों की सरकारों ने कबूला गुनाह
एचआरडब्ल्यू ने पाया कि 42 में से 39 देशों की सरकारों द्वारा वित्तपोषित 65 ऐप्प ने 56 फीसदी बच्चों का डेटा अन्य कंपनियों को भेजा। खुलासे के बाद 6 देशों- अर्जेंटीना (एडुक.आर), कनाडा (सीबीसी किड्स, पीबीएस लर्निंग), घाना (घाना लाइब्रेरी ऐप), इंडोनेशिया (रुमा बेलाजर), दक्षिण अफ्रीका (द. अफ्रीका की शिक्षा वेबसाइट), कोरिया गणराज्य (ईबीएस, केरिस एडुनेट, वेडोरंग) ने माना कि वे विज्ञापन के लिए छात्रों का डेटा उपयोग करते हैं।

भारतीय ऐप्प दीक्षा, ई-पाठशाला भी घेरे में
भारत के शिक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित दीक्षा और ई-पाठशाला ऐप्प भी बच्चों के स्थान, दिन, तारीख और अंतिम स्थान का डाटा जुटाते पाए गए। हालांकि भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने इस तरह की गतिविधियों से इनकार किया है। जनवरी 2022 तक सरकारी स्कूलों व अन्य संस्थानों के करीब 1.5 करोड़ छात्रों ने दीक्षा ऐप्प डाउनलोड किया। दीक्षा ऐप्प को 2017 में 1 से 12 कक्षा तक के पाठ, पाठ्यपुस्तकें, गृहकार्य और अन्य शैक्षिक सामग्री प्रदान करने के लिए लॉन्च किया गया था।

इन देशों में एजुकेशन ऐप्स से अरबों लोग प्रभावित
ऐप्प देश यूजर
ड्रॉपबॉक्स कोलंबिया 01 अरब
टेलिग्राम रूस 01 अरब
शाद ईरान 1.8 करोड़
दीक्षा, ई-पाठशाला भारत 1.5 करोड़
रिमेंबर कोलंबिया 01 करोड़
एडमोडो कोलंबिया, मिस्र, घाना, नाइजीरिया, रोमानिया, थाईलैंड 01 करोड़
पैडलेट कोलंबिया, जर्मनी, रोमानिया 50 लाख
स्कूलोजी अमेरिका 50 लाख
डिस्कॉम्प्लिका, स्टूडी ब्राजील 20 लाख
सिस्को वीबेक्स ऑस्ट्रेलिया, जापान, पोलैंड, स्पेन, कोरिया, ताइवान, अमरीका 10 लाख
इट्सलर्निंग, स्कूलफॉक्स जर्मनी 20 लाख
वीस्कूल इटली 10 लाख

डेटा सुरक्षा सख्त कानून जरूरी
डेटा की पूरी जानकारी ऐप्प कंपनी को होती है, लेकिन नियम और शर्तों के अनुसार डेटा तीसरे पक्ष को भेजना बड़ा साइबर अपराध है। इसके लिए कंपनियों पर कानूनी कार्यवाही के साथ जुर्माना भी हो सकता है। चूंकि भारत समेत दुनिया के तमाम देशोंं में डेटा सुरक्षा पर सख्त कानून नहीं है कंपनियां इसी का फायदा उठाती हैं।
– वी. राजेन्द्रन, चेयरमैन, डिजीटल सेक्योरिटी एसोसिएशन ऑफ इंडिया, चेन्नई

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