कंपनियों को भेजी जांच रिपोर्ट और मांगी सफाई
ह्यूमन राइट्स वॉच ने जांच के बाद रिपोर्ट 199 एजुकेशनल प्लेटफार्म कंपनियों और 49 सरकारों को भेजी लेकिन 78 कंपनियों और 10 सरकारों के अलावा किसी ने जवाब नहीं दिया। 7 देशों- अर्जेंटीना, चिली, फ्रांस, जर्मनी, जापान, मोरक्को, स्पेन ने सरकारी एजुकेशन प्लेफार्मों पर बच्चों की निजता पूरी तरह सुरक्षित रखने की बात कही। कई देशों ने तो रिपोर्ट पर ही सवाल उठा दिए।
छह देशों की सरकारों ने कबूला गुनाह
एचआरडब्ल्यू ने पाया कि 42 में से 39 देशों की सरकारों द्वारा वित्तपोषित 65 ऐप्प ने 56 फीसदी बच्चों का डेटा अन्य कंपनियों को भेजा। खुलासे के बाद 6 देशों- अर्जेंटीना (एडुक.आर), कनाडा (सीबीसी किड्स, पीबीएस लर्निंग), घाना (घाना लाइब्रेरी ऐप), इंडोनेशिया (रुमा बेलाजर), दक्षिण अफ्रीका (द. अफ्रीका की शिक्षा वेबसाइट), कोरिया गणराज्य (ईबीएस, केरिस एडुनेट, वेडोरंग) ने माना कि वे विज्ञापन के लिए छात्रों का डेटा उपयोग करते हैं।
भारतीय ऐप्प दीक्षा, ई-पाठशाला भी घेरे में
भारत के शिक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित दीक्षा और ई-पाठशाला ऐप्प भी बच्चों के स्थान, दिन, तारीख और अंतिम स्थान का डाटा जुटाते पाए गए। हालांकि भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने इस तरह की गतिविधियों से इनकार किया है। जनवरी 2022 तक सरकारी स्कूलों व अन्य संस्थानों के करीब 1.5 करोड़ छात्रों ने दीक्षा ऐप्प डाउनलोड किया। दीक्षा ऐप्प को 2017 में 1 से 12 कक्षा तक के पाठ, पाठ्यपुस्तकें, गृहकार्य और अन्य शैक्षिक सामग्री प्रदान करने के लिए लॉन्च किया गया था।
इन देशों में एजुकेशन ऐप्स से अरबों लोग प्रभावित
ऐप्प देश यूजर
ड्रॉपबॉक्स कोलंबिया 01 अरब
टेलिग्राम रूस 01 अरब
शाद ईरान 1.8 करोड़
दीक्षा, ई-पाठशाला भारत 1.5 करोड़
रिमेंबर कोलंबिया 01 करोड़
एडमोडो कोलंबिया, मिस्र, घाना, नाइजीरिया, रोमानिया, थाईलैंड 01 करोड़
पैडलेट कोलंबिया, जर्मनी, रोमानिया 50 लाख
स्कूलोजी अमेरिका 50 लाख
डिस्कॉम्प्लिका, स्टूडी ब्राजील 20 लाख
सिस्को वीबेक्स ऑस्ट्रेलिया, जापान, पोलैंड, स्पेन, कोरिया, ताइवान, अमरीका 10 लाख
इट्सलर्निंग, स्कूलफॉक्स जर्मनी 20 लाख
वीस्कूल इटली 10 लाख
डेटा सुरक्षा सख्त कानून जरूरी
डेटा की पूरी जानकारी ऐप्प कंपनी को होती है, लेकिन नियम और शर्तों के अनुसार डेटा तीसरे पक्ष को भेजना बड़ा साइबर अपराध है। इसके लिए कंपनियों पर कानूनी कार्यवाही के साथ जुर्माना भी हो सकता है। चूंकि भारत समेत दुनिया के तमाम देशोंं में डेटा सुरक्षा पर सख्त कानून नहीं है कंपनियां इसी का फायदा उठाती हैं।
– वी. राजेन्द्रन, चेयरमैन, डिजीटल सेक्योरिटी एसोसिएशन ऑफ इंडिया, चेन्नई