मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै खण्डपीठ ने मंगलवार को निर्देश दिया कि भक्तों से विशेष पूजा के नाम पर पुजारी रुपए नं ऐंठें। विरुदनगर जिले के राजपालयम निवासी आर. एस. कल्याणसुंदरम ने उच्च न्यायालय की मदुरै खण्डपीठ में याचिका लगाई।
याची ने तिरुचेंदूर मुरुगन मंदिर का संदर्भ दिया कि यहां विशेष दर्शन के लिए २५०, १५० व १०० रुपए का टिकट लगता है। इन टिकटों पर भक्तों को दर्शन करने वालों को गर्भगृह के निकट खड़े होने का अवसर मिलता है जबकि दूसरी ओर मंदिर प्रशासन से कोई नातेदारी नहीं रखने वाले लोग बिचौलिए बनकर बिना टिकट लोगों को विशेष दर्शन कराने के लिए सक्रिय हैं। इस तरह दर्शन कराने के बाद वे उन भक्तों से वसूली भी कर लेते हैं। यह राशि मंदिर प्रशासन को भी नहीं दी जाती। मंदिर में ऐसी कई अनियमितताएं हो रही हैं। मंदिर प्रशासन की गतिविधियों को नियमित करने के लिए एक समिति का गठन किया जाना चाहिए।
मंदिर से इतर पुजारियों द्वारा भक्तों से की जा रही वसूली पर रोक लगनी चाहिए। याची ने मंदिर के सभी कर्मचारियों को देवस्थान बोर्ड पहचान पत्र जारी करने तथा साथ ही उपस्थिति की बायोमेट्रिक सुविधा लागू किए जाने की मांग की।
इस याचिका पर न्यायाधीश मुरलीधरन और कृष्णावेणी की न्यायिक पीठ ने सुनवाई की। न्यायिक पीठ ने फैसला दिया कि हिन्दू धर्म व देवस्थान विभाग के आयुक्त यह निश्चित करे कि मंदिर में वे ही कर्मचारी सेवाएं दें जिनकी विधिवत नियुक्ति की गई है। भक्तों में अमीरी-गरीबी का भेदभाव नहीं होना चाहिए। मंदिर में कर्मचारियों की उपस्थिति दर्ज करने के लिए बायोमेट्रिक व्यवस्था लागू की जाए।
पुजारीगण भक्तों से वसूली करने जैसी गतिविधियों में लिप्त न हों। कार्य में नियमितता की विभागीय संयुक्त आयुक्त अथवा मंदिर के अधिशासी अधिकारी द्वारा साप्ताहिक औचक निरीक्षण किया जाए। मंदिर परिसर में उन पुजारियों के प्रति जागरूकता वाले इश्तहार चस्पा किए जाएं जिनकी नियुक्ति नहीं की गई है। भक्तों के लिए पेयजल और अन्य सुविधाओं की भी व्यवस्था की जाए।
उच्च न्यायालय ने उक्त उपाय करने और ५ जुलाई तक पालना रिपोर्ट पेश करने के देवस्थान विभाग के आयुक्त को निर्देश दिए हैं।