पीएमके संस्थापक डा. एस. रामदास ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व में दिए गए निर्णय को आधार बनाते हुए कहा है कि राज्य सरकार राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा
अन्य जतन नहीं करे सरकार चेन्नई. पीएमके संस्थापक डा. एस. रामदास ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व में दिए गए निर्णय को आधार बनाते हुए कहा है कि राज्य सरकार राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) से तमिलनाडु के विद्यार्थियों को छुटकारा दिलाने के लिए कानूनी उपाय करे। यहां बुधवार को जारी वक्तव्य में पार्टी संस्थापक ने कहा कि नीट के खिलाफ जो भी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं वे स्वागत योग्य हैं लेकिन राज्य सरकार के पास न्यायिक उपाय जैसा मारक अस्त्र होने के बाद भी उसका उपाय नहीं किया जाना खेदजनक है। रामदास ने कहा भले ही केंद्र सरकार ताल ठोक रही है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार ही नीट का आयोजन किया जा रहा है लेकिन हकीकत में नीट की परीक्षा असंवैधानिक है। अपने इस दावे के लिए उन्होंने १८ जुलाई २०१३ को तत्कालीन पूर्व मुख्य न्यायाधीश अलतमस कबीर की खण्डपीठ द्वारा नीट को खारिज किए जाने का हवाला दिया। हालांकि अप्रेल २०१६ में पांच जजों की खण्डपीठ ने इस फैसले को वापस अवश्य लिया था लेकिन यह नहीं कहा था कि तीन सदस्यीय खण्डपीठ के आदेश को खारिज नहीं किया था बल्कि यह कहा था कि नए सिरे से नीट की अनिवार्यता के मामले पर सुनवाई होगी। बहरहाल, २५ महीने गुजरने के बाद भी अभी तक सुनवाई शुरू नहीं हुई है। उन्होंने विविध कानूनी प्रसंगों का संदर्भ देते हुए कहा कि तमिलनाडु विधानसभा में नीट से छूट के लिए विशेष प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजे १५ महीने गुजर चुके हैं, लेकिन वहां कोई कार्यवाही नहीं हुई है। ऐसे में राज्य सरकार के पास कानून का ही सहारा बचता है जिसके माध्यम से नीट से निजात पाई जा सकती है। राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में ग्रीष्मकालीन अवकाश की शुरुआत से पहले ही नीट के मूल मामले को लेकर याचिका दायर कर दी जानी चाहिए।
राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में ग्रीष्मकालीन अवकाश की शुरुआत से पहले ही नीट के मूल मामले को लेकर याचिका दायर कर दी जानी चाहिए।