दरअसल वकील का टैग सुरक्षा कवच का काम करता है। 2019 के नियमों के अनुसार वकीलों को बार काउंसिल द्वारा अनुमोदित स्टिकर ही वाहनों पर लगाने चाहिए। इसके अलावा विधि छात्रों को भी बिना अनुमति के वाहनों पर अटॉर्नी स्टिकर चिपकाने से रोकने के आदेश दिए जाने चाहिए।”
इस याचिका पर न्यायाधीश एन. कृपााकरण और बी. पुगलेंदी की न्यायिक पीठ ने शुक्रवार को आदेश जारी किए। न्यायिक पीठ ने कहा, “तमिलनाडु में वकील/प्रेस/पुलिस जैसे स्टिकर वाहनों पर अत्यधिक चिपकाए जाते हैं। यह भी पता चला है कि इस तरह के स्टिकर के साथ बड़ी संख्या में वाहन अवैध गतिविधियों में शामिल हैं। इसी तरह उनके वाहनों पर राजनीतिक दल के झंडे, नेताओं के फोटो और जातिगत पार्टी के नेताओं की तस्वीरें चिपकाई जा रही हैं।
अदालत का विचार है कि ऐसा इस इरादे से किया गया था कि पुलिस उनके वाहनों को ना तो रोके और न ही तलाशी ले। राजनीतिक दल वाहनों पर चुनाव के समय अपने झंडे और नेताओं की तस्वीरों का उपयोग कर सकते हैं। अन्य समय में इसका उपयोग अनावश्यक है।
डीजीपी और गृह विभाग को परामर्श
न्यायिक पीठ ने डीजीपी, गृह विभाग और परिवहन निदेशक को निर्देश जारी करते हुए पूछा कि क्या वाहन नियमों का पालन करते हुए लाइसेंस का सालाना नवीनीकरण होता है? क्या वाहन की लाइट ठीक से फिट है? इनकी नियमित जांच होनी चाहिए तथा उल्लंघन करने वाले वाहनों को जब्त या जुर्माना काटा जाना चाहिए। यदि वाहन में खिडक़ी के शीशे या सना हुआ ग्लास प्रतिबंधित है तो उसे हटाने का आदेश जारी किया जाना चाहिए।
वाहन के बाहरी हिस्से पर प्रदर्शित नेताओं की या कोई अन्य तस्वीरें हैं तो उनको हटाया जाना चाहिए। वाहन की नंबर प्लेट मोटर वाहन नियमों के तहत होनी चाहिए। इस आदेश की पालना 60 दिनों के भीतर की जाए।