जल स्रोतों से अतिक्रमण हटाना निकायों व सरकार का दायित्व : हाईकोर्ट
- इसमें राजनीति की आवश्यकता नहीं

चेन्नई. मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि चेन्नई महानगर ही नहीं बल्कि राज्यभर के जलस्रोतों से अतिक्रमण हटाया जाना चाहिए। अतिक्रमण हटाने का दायित्व निकायों व राज्य सरकार का है।
चेन्नई इंजम्बाक्कम निवासी तंगवेल ने मद्रास हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी कि उसके इलाके में अतिक्रमण की वजह से २७ जलस्रोत गायब हो चुके हैं जिनको खोजा और संरक्षित किया जाए।
प्रधान न्यायाधीश संजीब बनर्जी और जज सेंथिलकुमार राममूर्ति की न्यायिक पीठ ने इस पर सुनवाई की। पीठ ने कहा कि पूरे चेन्नई में कई जलस्रोत गायब हो चुके हैं। निगम इन जलस्रोतों का मानव शरीर के फेफड़े की तरह समझें जिसके बिना जीना मुश्किल है।
प्रधान पीठ ने विचार व्यक्त किया कि चेन्नई ही नहीं बल्कि पूरे तमिलनाडु के जलस्रोतों को अतिक्रमण से बचाना होगा। सरकार और निकायों की जिम्मेदारी है वे इस तरह के अतिक्रमण को रोकें।
न्यायालय ने साथ ही सुझाव दिया कि सरकारी जमीनों को भी अतिक्रमण से बचाना चाहिए। सरकारी जमीनों व जलस्रोतों पर अतिक्रमण हटाने से रोकने में राजनीतिक सहित अन्य किसी भी कारण की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए।
प्रधान पीठ ने गायब जलस्रोतों का पता लगाने का निर्देश देते हुए इस आदेश की प्रति मुख्य सचिव को भेजने को कहा।
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