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7 शहरों में 6.29 लाख आवासीय इकाइयां, अपूर्ण रेरा को सरकारें मजबूत रखतीं तो ग्राहकों को नहीं करना पड़ता इंतजार

locationचेन्नईPublished: Dec 07, 2021 07:20:33 pm

Submitted by:

P S VIJAY RAGHAVAN

रेरा को लेकर रियल एस्टेट प्रमोटर्स और ग्राहक दोनों खुश हैं। प्रमोटर्स इसको लेकर गंभीर हैं। इस वजह से समय और गुणवत्ता से वे कोई समझौता नहीं करते। दूसरी तरफ ग्राहक भी कीमत और क्वालिटी को निश्चिंत हो जाता है।

7 शहरों में 6.29 लाख आवासीय इकाइयां, अपूर्ण रेरा को सरकारें मजबूत रखतीं तो ग्राहकों को नहीं करना पड़ता इंतजार

7 शहरों में 6.29 लाख आवासीय इकाइयां, अपूर्ण रेरा को सरकारें मजबूत रखतीं तो ग्राहकों को नहीं करना पड़ता इंतजार


चेन्नई. रियल एस्टेट नियमन अधिनियम (रेरा) को लेकर राज्यों के अलग-अलग रुख का ही नतीजा है कि देश में २०१४ तथा इससे पहले लांच हुई आवासीय परियोजनाएं अभी तक अटकी है। अगर सरकारें इस ओर ध्यान देतीं तो शायद ६.२९ लाख लोगों को आवास की सुपुर्दगी समय पर हो जाती।

बहरहाल, रेरा को लेकर रियल एस्टेट प्रमोटर्स और ग्राहक दोनों खुश हैं। प्रमोटर्स इसको लेकर गंभीर हैं। इस वजह से समय और गुणवत्ता से वे कोई समझौता नहीं करते। दूसरी तरफ ग्राहक भी कीमत और क्वालिटी को निश्चिंत हो जाता है।
रेरा से रियल एस्टेट प्रमोटर्स की जवाबदेही बनी है तथा मौसमी प्रमोटर्स की अब बाजार में कोई जगह नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का हालिया निर्देशन एक तरह से स्पष्टीकरण था कि पुरानी आवासीय योजनाओं को भी रेरा के दायरे में लिया जाएगा। रेरा ने पूरे कारोबार को ‘सिस्टेमैटिकÓ किया है।

73307 आवासीय प्रोजेक्ट
रेरा के अधिसूचित होने के साढ़े चार साल में ७१३०७ प्रोजेक्ट रजिस्टर हुए हैं। महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक रजिस्टर्ड परियोजनाओं में सबसे आगे हैं। इसी अवधि में ७८ हजार ९०३ ग्राहकों की शिकायतों का निवारण भी हुआ जिनकी एक जमाने में सुनवाई तक नहीं होती थी। आवासीय व शहरी कार्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार शिकायत निवारण में यूपी और हरियाणा ६१ प्रतिशत के साथ अव्वल रहे। यूपी ने ३० हजार ९९० और हरियाणा ने १६८८४ शिकायतों का निपटारा किया है।

7 शहरों में लम्बित परियोजनाएं
एनारॉक प्रोपर्टी कंसल्टेंट की रिपोर्ट के अनुसार जुलाई २०२१ तक देश में ६.२९ लाख आवासीय इकाइयों का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ जो कि २०१४ और उससे पहले से लम्बित है। दीगर बात यह है कि ये आंकड़े केवल ७ बड़े प्रमुख शहरों के हैं। रेरा प्राधिकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के स्पष्टीकरण के बाद अब लम्बित परियोजनाओं में कमी आएगी। इसमें सरकारों की भूमिका भी अहम है जिनको रेरा के अधिकार मजबूत करने होंगे।

रेरा फैक्ट फाइल
– नगालैण्ड में रेरा नोटिफाई नहीं
– २८ राज्यों में रेरा अपीलीय प्राधिकरण
– २७ राज्यों में नियामकों की वेबसाइट

तमिलनाडु में बहुत कम पेंडिंग प्रोजेक्ट
तमिलनाडु के बिल्डर्स रेरा को लेकर पूरी तरह जागरूक हैं। महानगर के ९० प्रतिशत से अधिक प्रमोटर्स के्रडाई के सदस्य हैं। यहां लिटिगेशन और लम्बित प्रोजेक्ट की संख्या नगण्य है। रेरा से काम प्रणालीगत और पारदर्शी हुआ है तथा ग्राहकों का विश्वास भी बढ़ा है।
– पदम दुग्गड़, चेयरमैन, दी कन्फैडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) चेन्नई

बढ़ेगा रेरा में रजिस्ट्रेशन
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से स्पष्टता आई है और रेरा की शक्ति बढ़ी है। अब पूर्व में लम्बित परियोजनाएं भी इसके दायरे में है। जबकि पहले कई राज्यों ने रेरा के नियमों को हल्का कर दिया था। नतीजतन आने वाले समय में रेरा में परियोजनाओं का रजिस्ट्रेशन बढ़ेगा।
अनुज पुरी, चेयरमैन एनारॉक समूह
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