अधिकारियों के मुताबिक बच्चा बोरवेल में बेहोश हो गया है, हालांकि उसकी सांसें अब भी चल रही हैं। दूसरी ओर बच्चे को बचाने के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, राज्य पुलिस और स्थानीय प्रशासन की कई टीमों सहित स्थानीय लोग राहत व बचाव कार्य में जुटे हुए हैं लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है।
शनिवार शाम तक पूरा होने की उम्मीद थी
बच्चे पर सीसीटीवी के जरिए निगरानी रखी जा रही है और ऑक्सीजन की सप्लाई भी लगातार बोरवेल के पाइप में की जा रही है। बच्चे को बाहर निकालने के लिए खुदाई का कार्य शनिवार शाम तक पूरा होने की उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। बीती रात तकनीकी खामी के कारण कुछ देर के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन रुक गया था लेकिन कुछ घंटों बाद फिर से राहत व बचाव कार्य शुरू कर दिया गया था।
70 घंटे से बोरवेल में जिंदगी की जंग लड़ रहा
बच्चा करीब 70 घंटे से बोरवेल में फंसा है और जिंदगी की जंग लड़ रहा है। सभी लोग बच्चे के सुरक्षित बाहर निकलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। देखना होगा कि क्या सुजीत जिंदगी की जंग को ‘जीत’ जाएगा? सुजीत शुक्रवार को अपने घर के पास खेल रहा था, इसी दौरान वह बोरवेल में गिर गया। शुरुआत में वह बोरवेल के अंदर जाकर 30 फीट की गहराई पर जाकर अटक गया, लेकिन कुछ देर बाद ही बच्चा और नीचे खिसक गया।
100 फीट तक खोदने में 12 घंटों का समय लगेगा
राजस्व प्रशासन व आपदा प्रबंधन और शमन विभाग के प्रमुख सचिव जे. राधा कृष्णन ने कहा कि बचाव के प्रयासों को नहीं छोड़ा जाएगा। चट्टानी इलाका में जल्दी से खुदाई करने में दिक्कतें आती है। खुदाई का काम लगभग 280-500 सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहा है। सचिव राधा कृष्णन ने कहा कि लगभग 100 फीट तक खोदने में करीब 12 घंटों का समय लगेगा।
उसके बाद बोरवेल में फंसे बच्चे तक पहुंचने के लिए बराबरी में सुरंग बिछाई जाएगी। उन्होंने कहा कि शुरुआत में अनुमान लगाया गया था कि नए गड्ढ़े की ड्रिलिंग 6 से 10 घंटों में पूरा हो जाएगा। राधाकृष्णन ने कहा कि प्रौद्योगिकियों के विशेषज्ञ जो बच्चे को बचाने के लिए तैनात किए जा सकते हैं, उनका स्वागत है।