चेन्नई

नारियल के रेशे से सुधरेगी सड़कों की गुणवत्ता, तमिलनाडु समेत सात राज्यों में सड़कों के निर्माण में नारियल की जटाओं से तैयार हो रही सड़कें

नारियल के रेशे से सुधरेगी सड़कों की गुणवत्ता – तमिलनाडु समेत सात राज्यों में सड़कों के निर्माण में नारियल की जटाओं से तैयार हो रही सड़कें – हर मौसम में टिकाऊ रहेगी ऐसी सड़कें

चेन्नईDec 14, 2020 / 04:01 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

new technology

चेन्नई. नारियल के बाहरी छिलके से प्राप्त खुरदरे रेशे से अब तक रस्सी, चटाइयां, गद्दे बनते रहे हैं लेकिन अब यही नारियल सड़कों की गुणवत्ता सुधारेगा। आने वाले समय में सड़कों के निर्माण में जूट, नारियल की जटाओं और कॉयर जियो-टेक्सटाइल्स (सीजीटी) तकनीक देखने को मिलेगी। ये सड़कें हर मौसम के लिए ज्यादा टिकाऊ होंगी। इससे देश में दम तोड़ रहे सीजीटी उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। खासतौर पर कोविड-19 महामारी के इस दौर में सीजीटी उद्योग के लिए यह बड़ा बूस्टअप है। तमिलनाडु समेत सात राज्यों में इस तकनीक से सड़कों का निर्णाण शुरू किया गया है। पिछले दिनों केन्द्र ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत ग्रामीण क्षेत्र में सड़कों के निर्माण में कॉयर जियो-टेक्सटाइल्स का उपयोग करने पर बल देने की बात कही थी।
पांच फीसदी हिस्सा नई तकनीक से
पीएमजीएसवाई की गाइडलाइंस के मुताबिक हर सड़क के प्रस्ताव में कुल लंबाई के 15 फीसदी के निर्माण में नई प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा। इस 15 में से 5 फीसदी हिस्सा भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी) की तरफ से मान्यता प्राप्त आधुनिक तकनीक से किया जाएगा। आईआरसी ने ग्रामीण सड़कों के लिए सीजीटी तकनीक को मंजूरी दे दी है। ऐसे में अब सड़क निर्माण में 5 फीसदी हिस्सा इस नई तकनीक से किया जा सकता है। आईआरसी देश में राजमार्ग इंजीनियरों की सर्वोच्च संस्था है। इसका उद्देश्य भारत में सड़क विकास को बढ़ावा देना है।
आईआईटी मद्रास कर रही शोध
पिछले दिनों आईआईटी मद्रास ने ग्रामीण सड़कों के निर्माण में सीजीटी का उपयोग करने को हरी झंडी दिखाई थी। आईआईटी ने यह कदम सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग (एमएसएमई) के आग्रह पर उठाया था। साथ ही आईआईटी ने सीजीटी के उपयोग पर और ज्यादा शोध करने के लिए राष्ट्रीय कॉयर बोर्ड के साथ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना के लिए एक एमओयू भी किया था।
नारियल रेशा उद्योग को मिलेगा प्रोत्साहन
सड़क निर्माण से जुड़े लोगों का कहना है कि सड़क निर्माण में कॉयर जियो टेक्सटाइल यानी नारियल की जालीदार चटाइयों का इस्तेमाल होने से सड़कें मजबूत बनेंगी। कोविड-19 के संकट के दौर में इससे नारियल रेशा उद्योग को काफी प्रोत्साहन मिलेगा। इससे कॉयर जियो टेक्सटाइल के लिए एक बड़ा बाजार खुल सकेगा।
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कम समय में तैयार हो रही उच्च गुणवत्ता की सड़कें
ग्रामीण सड़कों के निर्माण में रबर(टायर) के बुरादे को डामर में मिक्स किया जाता है और उच्च तापमान पर इसे भट्टी में गर्म किया जाता है। इससे बनने वाली सड़कें मजबूत रहती है। सीआरएमबी पद्धति से भी सड़कों का निर्माण हो रहा है। यह अपेक्षाकृत थोड़ी महंगी पड़ती है। सड़क निर्माण के लिए आजकल अत्याधुनिक मशीनें आ जाने से कम समय में उच्च गुणवत्ता की सड़कें तैयार होने लगी है।
– सुरेन्द्रसिंह राजपुरोहित, डब्बल ए श्रेणी कान्ट्रेक्टर।
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