गांव में कोई सुविधा नहीं
गौरतलब है कि पर्वतीय क्षेत्र में बसे नेकानामलै गांव में करीब 300 परिवारों का निवास है। देश को आजाद हुए 70 साल हो गई लेकिन इस गांव में आवागमन के लिए अब तक न तो सड़क सुविधा उपलब्ध हो पाई है और न ही अस्पताल बना है। और तो और, गांव में शुद्ध पेयजल एवं स्ट्रीट लाइटों की भी सुविधा नहीं है। गांववासी कई दफा जिला प्रशासन से सड़क सहित मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने की मांग कर चुके हैं इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।
गौरतलब है कि पर्वतीय क्षेत्र में बसे नेकानामलै गांव में करीब 300 परिवारों का निवास है। देश को आजाद हुए 70 साल हो गई लेकिन इस गांव में आवागमन के लिए अब तक न तो सड़क सुविधा उपलब्ध हो पाई है और न ही अस्पताल बना है। और तो और, गांव में शुद्ध पेयजल एवं स्ट्रीट लाइटों की भी सुविधा नहीं है। गांववासी कई दफा जिला प्रशासन से सड़क सहित मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने की मांग कर चुके हैं इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।
युवा जाते हैं दूसरे राज्यों में काम करने
इस गांव के ज्यादातर युवा दूसरे राज्यों में काम करने चले गए हैं। गांव में एक प्राइमरी स्कूल है लेकिन उसमें सप्ताह में तीन दिन ही शिक्षक आते हैं। जिस दिन शिक्षक आते हैं उसी दिन बच्चे स्कूल में पढऩे के लिए जाते हैं। अगर कोई बीमार होता है तो उसे डोली में लाकर कंधे से वानियम्बाड़ी के सरकारी अस्पताल में भर्ती किया जाता है। इस घटना की जानकारी मिलते ही तिरुपतूर कलक्टर शिवन अरुल ने वन विभाग अधिकारी के साथ बातचीत कर शीघ्र सड़क सहित मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने की बात कही।
इस गांव के ज्यादातर युवा दूसरे राज्यों में काम करने चले गए हैं। गांव में एक प्राइमरी स्कूल है लेकिन उसमें सप्ताह में तीन दिन ही शिक्षक आते हैं। जिस दिन शिक्षक आते हैं उसी दिन बच्चे स्कूल में पढऩे के लिए जाते हैं। अगर कोई बीमार होता है तो उसे डोली में लाकर कंधे से वानियम्बाड़ी के सरकारी अस्पताल में भर्ती किया जाता है। इस घटना की जानकारी मिलते ही तिरुपतूर कलक्टर शिवन अरुल ने वन विभाग अधिकारी के साथ बातचीत कर शीघ्र सड़क सहित मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने की बात कही।