गगनदीप सिंह बेदी ने कहा कि फर्जी किसानों से अबतक 32 करोड रुपए की वसूली हो चुकी है और शेष राशि जल्द वसूली कर ली जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार की योजना का दुरुपयोग होने पर कार्रवाई की जाएगी और इस अनियमितता के लिए जिम्मेदार सभी लोगों को दंडित किया जाएगा।
मामले की जांच सीबीसीआईडी द्वारा की जा रही है। अब तक सीबीसीआईडी ने कड्लूर, तिरुवण्णामलै, विल्लुपुरम, सेलम, कल्लाकुरिची जिलों से 16 लोगों को गिरफ्तार किया है। अपात्र लोग गलत जानकारी देकर प्रधानमंत्री किसान स्कीम से वार्षिक 6,000 रूपए का लाभ उठा रहे थे। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत तीन किस्तों में किसानों को सालाना यह मदद दी जाती है।
दरअसल यह धोखाधड़ी लगभग एक साल पहले सामने आया, जब कड्लूर कलक्टर चंद्रशेखर सखामुराई ने पिल्लाईयारमेडु गांव में लाभार्थियों की सूची में गैर-किसानों का भी नाम पाया। इसके बाद इस मामले में जांच के आदेश दिए गए। जांच में कृषि विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर्स ने अपने अधिकार क्षेत्र की जांच में ऐसे कई फर्जीवाड़ा होने की बात कही। इसके बाद सरकार ने सीबीसीआईडी को मामले की जांच सौंप दी।
राज्य में बीजेपी किसान मोर्चा के उपाध्यक्ष राजा सुरेंद्र रेड्डी ने कहा कि गलत दस्तावेजों और फर्जी पतों के आधार पर लोग यह लाभ उठा रहे थे। एक अधिकारी ने कहा कि फर्जी लाभार्थियों के खाते में करीब 10 करोड़ रुपये की रकम ट्रांसफर हुई थी, जिसमें से 1.5 करोड़ रुपये वापस सरकार के खाते में भेज दिए गए हैं।
अधिकारी ने आगे बताया फर्जीवाड़ा मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों में से दो सेलम जिले के थारामंगलम से हैं। इन्हीं लोगों ने गैर किसानों की अपने कंप्यूटर सेंटर के माध्यम से प्रधानमंत्री किसान स्कीम में अप्लाई करने में मदद की। फर्जीवाड़े मामले में कारवाई करते हुए कृषि विभाग में स्थाई कर्मचारी के. राजा को धोखाधडी में भागीदारी के आरोप के कारण सस्पेंड कर दिया गया है। इसके अलावा कृषि विभाग ने सेलम के ज्वाइंट डायरेक्टर इलानगोवान का ट्रांसफर कर दिया है।
इस मामले पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलनीस्वामी ने तिरुवल्लूर में पत्रकारों से कहा इस मामले की विस्तृत जांच चल रही है।