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चेन्नई

संयम की साधना केवल मानव चोले में ही संभव

उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि व मुनि तीर्थेशऋषि रविवार को तिरुकुंडी जैन स्थानक पहुंचे।

चेन्नईDec 24, 2018 / 12:25 pm

PURUSHOTTAM REDDY

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संयम की साधना केवल मानव चोले में ही संभव

चेन्नई. उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि व मुनि तीर्थेशऋषि रविवार को तिरुकुंडी जैन स्थानक पहुंचे। यहां धर्मसभा में कहा जिंदगी में कोई प्रिय व्यक्ति है या नहीं। यदि है तो उससे संभलकर रहना। पूरे संसार का इतिहास याद करोगे तो एक खतरनाक सत्य पता चलेगा कि प्रिय व्यक्ति ही सबसे खतरनाक होता है। यह अलग बात है कि हम किसके प्रिय बनना चाहते हैं या बनाना चाहते हैं।
दशरथ को कैकेयी सबसे अधिक प्रिय थी लेकिन उनके लिए उसी से सबसे ज्यादा अप्रिय परिणाम मिला। यह संसार का कड़वा सच है कि जिसको भी प्रिय बनाया वही प्राणों का प्यासा बना। इसी लिए धर्म आपसे आग्रह करता है कि अपना प्रियतम किसी से करना है तो देव, गुरु और धर्म से करना, ये दगाबाज नहीं होते।
अहिंसा व संयम भी चाहिए और साथ में तप भी चाहिए तभी धर्म मंगल होता है। सबसे कठिन कुछ है तो संयम। संयम की साधना कहीं संभव है तो इसी मानव चोले में। यह संयम ही है जो आपको दुर्घटना से बचा सकता है। खाने में संयम नहीं रहा तो पेट में और बोलने में संयम नहीं रहा तो बाहर झगड़ा शुरू हो जाता है। आदमी को सबसे ज्यादा बुरा संयम ही लगता है। वह स्वयं भी परेशान होता है और साथ वालों को भी परेशान करता है। कितनी ही अच्छी भावना हो लेकिन सीमा से बाहर कदम रखते ही बाहर रावण ही खड़ा मिलेगा। फिर कोई बचाने नहीं आ सकता। बचाव यही है कि सीमा के अंदर रहा जाए, संयम से रहा जाए।
देवताओं के पास असीमित शक्ति है लेकिन फिर भी वे दीक्षा नहीं ले सकते, तप नहीं कर सकते, नियम ग्रहण नहीं कर सकते। तिर्यंच साधु नहीं बन सकता लेकिन श्रावक बन सकता है। नारकी के जीव और देवता संयम नहीं ले सकते। जिसने पच्चखान नहीं लिए वे नारकी में ही जाते हैं। मानव जीवन ही ऐसा है जिसमें व्यक्ति बिना श्रद्धा के भी यदि अभवी जीव पच्चखान लेता है तो वह देवलोक में जाता है और इच्छा और श्रद्धा के साथ पच्चखान ले ले तो वह मोक्ष में जा सकता है। इसलिए इच्छा या भावना हो या न हीं हो तो भी अपने परिवार में पच्चखान और धर्म नियम पालन की परंपराएं चालू करें। उनका टिकिट आपको नरक का करना है, देवलोक का करना है या मनुष्यगति का करना है। अपने बेटों के लिए स्कूल तय करना और उसका रिश्ता तय आपको करना है कि आप कहां पर करते हैं। तय कर लें कि मेरे परिवारजन कोई भी नरक के रास्ते में न जाएं। जो पच्चखान लेकर आयुष्य पूर्ण करे वह नियम, व्रत और मर्यादा का पालन करता है वह यहां रहकर भी स्वर्ग में है और मरने के बाद भी स्वर्ग में जाता है।

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