पुलिस को भनक तक नहीं लगी आखिर इतने बड़े पेड़ को काट कर ले जाने के लिए चोर गिरोह अपने साथ एक वाहन भी लाया होगा। उनके पास पॉवर टूल होंगे। मतलब पूरी कार्रवाई में आधे से एक घंटा तो लगा ही होगा। गिरोह रेस कोर्स में वारदात को अंजाम देकर निकल भी गया। इससे जाहिर है कि उन्हें पुलिस प्रशासन का कोई भय नहीं हैं। इस तथ्य को अब वन विभाग के अधिकारी भी मानने लगे हैं कि तस्करों का नेटवर्क तगड़ा है। रेस कोर्स इलाके में ही चंदन के चार सौ पेड़ हैं। इन सभी की लिस्ट गिरोह के पास है। चोरी की वारदातों से परेशान पुलिस प्रशासन ने एक बार तो पेड़ों की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे तक लगवाने का सुझाव दिया था।दिक्कत यह है कि गिरोह केरल का है। ये लोग आसानी से वारदात के बाद 20 किमी दूर केरल की सीमा में सुरक्षित चले जाते हैं। इनके उनके गुर्गे कोय बत्तूर में भी हैं। सरगना केरल में बैठ कर ही पूरे ऑपरेशन को अंजाम देता है।
तस्कर फटाफट काम निपटा चले जाते हैं केरल के तस्कर वहां के आदिवासियों को भाड़े पर लाते हैं। इन्हें ऐन वक्त तक पता नहीं होता कि पेड़ कहां से काटने हैं। तस्कर उन्हें शराब पिला कर वारदात स्थल पर लाकर छोड़ देते हैं। वे फटाफट अपना काम निपटा कर चलते बनते हैं। उन्हें यह तक पता नहीं होता कि उन्होंने पुलिस थाने में चोरी की है या फिर किसी के बंगले में। गिरहो गिरोह मेट्टूपालयम में वन विभाग के कार्यालय से, शहर के कोमंगलम पुलिस थाना, भारतीय खाद्य निगम के गोदाम परिसर से भी पेड़ काट कर ले जा चुके हैं। खास बात है कि एक पखवाड़े पहले जरूर वन विभाग ने जंगल में चंदन का पेड़ काटते वक्त एक श स को पकड़ा था। इसके पांच साथी भाग गए थे।