हालांकि विभाग ने सभी स्कूलों को अंडरएज ड्राइविंग के खतरे और प्रभावों के बारे में कई निर्देश और दिशानिर्देश जारी किए थे, लेकिन उसके बावजूद विद्यार्थी अपने अभिभावकों के वाइक से स्कूल आते हैं। एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पिछले साल ही 50 से अधिक नाबालिग विद्यार्थी सड़क दुर्घटना में लिप्त थे। इसके अलावा कई मामले ऐसे थे जो रिपोर्र्ट में ही नहीं आए। उन्होंने कहा कि सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को सभी स्कूलों के लिए सर्कुलर जारी कर विद्यार्थियों को बाइक लाने से रोकने का निर्देश दिया गया। इसके अलावा स्कूलों को विद्यार्थियों को उनके वाहन को कैंपस में पार्क नहीं करने देने का भी निर्देश दिया गया है।
इसी प्रकार से स्कूल प्रबंधन को विद्यार्थियों के अभिभावकों से नियमित मुलाकात कर बच्चों को बाइक नहीं देने का आग्रह करने का भी निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों और जिला शिक्षा अधिकारियों को सभी स्कूलों को मोटर वाहन अधिनियम 1988 के अनुसार अंडरऐज ड्राइविंग के जोखिम और खतरों के बारे में जागरूकता पैदा करने को भी कहा गया है। स्कूलों को स्कूल शिक्षा निदेशालय को कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने को भी कहा गया है, जो कि परिवहन विभाग को भेजा जाएगा।