सहजन निर्यात जोन
सरकार ने तमिलनाडु के सात जिले तेनी, मदुरै, दिंडीगुल, तुत्तुकुड़ी, अरियलूर, तिरुपुर और करूर को ड्रमस्टिक निर्यात जोन घोषित किया है। इसके लिए मदुरै में एक करोड़ की लागत से स्पेशल एक्सपोर्ट फेसिलेटेशन सेंटर स्थापित किया जाएगा। स्थानीय किसान विश्वभर में इसकी मांग से बेखबर हैं। निर्यात जोन की स्थापना से वे इस बारे में शिक्षण-प्रशिक्षण हासिल करेंगे।
३० से अधिक उत्पाद
दी एग्रोफूड चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष एस. रत्नवेलू के अनुसार सहजन फली से ३० से अधिक संवद्र्धित उत्पादों का निर्माण होता है। तमिलनाडु के उक्त सात जिले राज्य के कुल रकबे की ९३ फीसदी की आपूर्ति करते हैं।
सहजन फली इन ब्रीफ
– २०२५ तक ड्रम स्टिक का कारोबार ७० हजार करोड़ होने की संभावना
– कुल आपूर्ति का ८० प्रतिशत भारत से
– भारत में १ लाख एकड़ में उत्पादन
– देश में उत्पादित फली का ७० हिस्सा तमिलनाडु से
शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाता
निर्यात जोन किसानों के लिए फायेदमंद साबित होगा। फसल की अनुरक्षण लागत नहीं के बराबर है तथा साल में दो बार इसकी उपज होती है। एंटी ऑक्सीडेंट गुण के साथ यह शरीर की रोग-प्रतिरोधी क्षमता को भी बढ़ाता है। खून में कमी जैसे विकार को दूर करने में कारगर है। इसके औषधीय गुण की वजह से इसकी विश्व बाजार में मांग बढ़ी है।
वी. के. झंवर, चेयरमैन ट्रॉपिकल एग्रो
निर्यात जोन किसानों के लिए फायेदमंद साबित होगा। फसल की अनुरक्षण लागत नहीं के बराबर है तथा साल में दो बार इसकी उपज होती है। एंटी ऑक्सीडेंट गुण के साथ यह शरीर की रोग-प्रतिरोधी क्षमता को भी बढ़ाता है। खून में कमी जैसे विकार को दूर करने में कारगर है। इसके औषधीय गुण की वजह से इसकी विश्व बाजार में मांग बढ़ी है।
वी. के. झंवर, चेयरमैन ट्रॉपिकल एग्रो
४० हजार करोड़ का निर्यात
अगले पांच सालों में तमिलनाडु से सहजन फली के निर्यात से ४० हजार करोड़ की विदेशी मुद्रा अर्जित की जा सकती है। मौजूदा ३० एकड़ के रकबे को बढ़ाकर ५० हजार करना होगा। फली से विकसित उत्पादों की नॉर्थ अमरीका, यूरोप, खाड़ी देशों और चीन में बड़ी मांग है।
– एस. रत्नवेलू, दी एग्रोफूड चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष
अगले पांच सालों में तमिलनाडु से सहजन फली के निर्यात से ४० हजार करोड़ की विदेशी मुद्रा अर्जित की जा सकती है। मौजूदा ३० एकड़ के रकबे को बढ़ाकर ५० हजार करना होगा। फली से विकसित उत्पादों की नॉर्थ अमरीका, यूरोप, खाड़ी देशों और चीन में बड़ी मांग है।
– एस. रत्नवेलू, दी एग्रोफूड चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष