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सहजन फली से होंगे किसानों के वारे-न्यारे

locationचेन्नईPublished: Oct 16, 2021 05:33:47 pm

Submitted by:

P S VIJAY RAGHAVAN

TN : 5 सालों में ४० हजार करोड़ के निर्यात का लक्ष्य
 
7 जिले बनेंगे ड्रम स्टिक निर्यात जोन

सहजन फली से होंगे किसानों के वारे-न्यारे

सहजन फली से होंगे किसानों के वारे-न्यारे

चेन्नई. आयुर्वेद में अमृत की संज्ञा प्राप्त सहजन फली (ड्रमस्टिक) तमिलनाडु के किसानों पर अमृत वर्षा कर सकती है। राज्य से अगले ५ सालों में करीब ४० हजार करोड़ के निर्यात का अनुमान है। सरकार इस लक्ष्य के लिए सात जिलों को निर्यात जोन में चिन्हित कर चुकी है। विश्व में ड्रमस्टिक उत्पादन में भारत अव्वल है। अमरीका में इसे सुपरफूड का दर्जा प्राप्त है। तमिलनाडु के अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी इसकी खेती हो रही है।

सहजन निर्यात जोन
सरकार ने तमिलनाडु के सात जिले तेनी, मदुरै, दिंडीगुल, तुत्तुकुड़ी, अरियलूर, तिरुपुर और करूर को ड्रमस्टिक निर्यात जोन घोषित किया है। इसके लिए मदुरै में एक करोड़ की लागत से स्पेशल एक्सपोर्ट फेसिलेटेशन सेंटर स्थापित किया जाएगा। स्थानीय किसान विश्वभर में इसकी मांग से बेखबर हैं। निर्यात जोन की स्थापना से वे इस बारे में शिक्षण-प्रशिक्षण हासिल करेंगे।

३० से अधिक उत्पाद
दी एग्रोफूड चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष एस. रत्नवेलू के अनुसार सहजन फली से ३० से अधिक संवद्र्धित उत्पादों का निर्माण होता है। तमिलनाडु के उक्त सात जिले राज्य के कुल रकबे की ९३ फीसदी की आपूर्ति करते हैं।

सहजन फली इन ब्रीफ
– २०२५ तक ड्रम स्टिक का कारोबार ७० हजार करोड़ होने की संभावना
– कुल आपूर्ति का ८० प्रतिशत भारत से
– भारत में १ लाख एकड़ में उत्पादन
– देश में उत्पादित फली का ७० हिस्सा तमिलनाडु से
शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाता
निर्यात जोन किसानों के लिए फायेदमंद साबित होगा। फसल की अनुरक्षण लागत नहीं के बराबर है तथा साल में दो बार इसकी उपज होती है। एंटी ऑक्सीडेंट गुण के साथ यह शरीर की रोग-प्रतिरोधी क्षमता को भी बढ़ाता है। खून में कमी जैसे विकार को दूर करने में कारगर है। इसके औषधीय गुण की वजह से इसकी विश्व बाजार में मांग बढ़ी है।
वी. के. झंवर, चेयरमैन ट्रॉपिकल एग्रो
सहजन फली से होंगे किसानों के वारे-न्यारे
४० हजार करोड़ का निर्यात
अगले पांच सालों में तमिलनाडु से सहजन फली के निर्यात से ४० हजार करोड़ की विदेशी मुद्रा अर्जित की जा सकती है। मौजूदा ३० एकड़ के रकबे को बढ़ाकर ५० हजार करना होगा। फली से विकसित उत्पादों की नॉर्थ अमरीका, यूरोप, खाड़ी देशों और चीन में बड़ी मांग है।
– एस. रत्नवेलू, दी एग्रोफूड चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष
सहजन फली से होंगे किसानों के वारे-न्यारे

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