सीबी-सीआईडी साइबर क्राइम ब्रांच ने इस मामले की पड़ताल की। इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई करते हुए जस्टिस कृपाकरण और वैद्यनाथन की बेंच को बताया गया कि इंजीनियरिंग स्नातक भारतीराजा ने जज का पता और मोबाइल नंबर एक फर्जी कंपनी से प्राप्त किया था। वह नौकरी के नाम पर जज को ठगने की फिराक में था।
80 लोगों से धोखाधड़ी-सीबी-सीआईडी ने न्यायालय से यह भी कहा कि 80 लोगों से 9 लाख 28 हजार 850 रुपये की धोखाधड़ी की गई थी और चित्रा नाम की एक महिला को इस सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था।
मुख्य आरोपी प्रताप और राज के भूमिगत हो जाने के कारण चार्जशीट दाखिल नहीं हो सकी। इसके बाद न्यायाधीशों ने तिरुनेलवेली अदालत को चित्रा के खिलाफ मामले की अलग सुनवाई कर छह महीने में इसके निपटारे का आदेश दिया।
शिथिल रवैये पर फटकार
हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच में शिथिलता के लिए सीबी-सीआईडी और पुलिस को फटकारा कि संबंधित अधिकारियों पर अदालत की अवमानना का मामला भी चलाया जा सकता है। इस विचार के साथ सुनवाई फरवरी 2022 के लिए टाल दी गई।
हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच में शिथिलता के लिए सीबी-सीआईडी और पुलिस को फटकारा कि संबंधित अधिकारियों पर अदालत की अवमानना का मामला भी चलाया जा सकता है। इस विचार के साथ सुनवाई फरवरी 2022 के लिए टाल दी गई।
केंद्र और राज्य सरकार को परामर्श
उच्च न्यायालय परिसर में ही नौकरी दिलाने के नाम पर हुई धोखाधड़ी का हवाला देते हुए न्यायिक पीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों को सलाह दी कि धोखाधड़ी और बेरोजगारी के मुद्दे से निपटने के लिए युवाओं को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाने चाहिए।