इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) देशभर के 120 प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में सेमीकंडक्टर डिजाइन परिकल्पना को व्यवस्थित करने में लगा है। जहां से सेमीकंडक्टर चिप्स डिजाइन की जा सकेगी। मंत्रालय ने 2021 में चिप्स टू सिस्टम डिजाइन (एसएमडीपी-सी2एसडी) के लिए विशेष जनशक्ति विकास कार्यक्रम के अंतर्गत एक प्रमुख परियोजना का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था जिसमें सी-डैक में एक केंद्रीयकृत डिजाइन सुविधा को दूरस्थ स्थानों पर चिप्स डिजाइन करने के लिए 60 शैक्षणिक संस्थानों में 50 हजार से अधिक इंजीनियरिंग विद्यार्थियों के लिए सक्षम किया गया था।
85 हजार इंजीनियरों को मिलेगा प्रशिक्षण
मंत्रालय की अगले 5 वर्षों के लिए डिजाइन क्षेत्र में अब देश भर के 120 शैक्षणिक संस्थानों में 85 हजार से अधिक बी.टेक, एम.टेक और पीएचडी छात्रों को चिप में प्रशिक्षित करने के लिए सी-डैक में इंडिया चिप सेंटर सेटअप में उपलब्ध कराए जाने के लिए एक केंद्रीयकृत चिप डिजाइन बुनियादी ढांचे को सुलभ बनाने की योजना है। इंडिया चिप सेंटर (सी-डैक) में चिप डिजाइन अवसंरचना उपलब्ध कराने के लिए ईडीए (इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन ऑटोमेशन), इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर एडेड डिजाइन (ईसीएडी), आईपी कोर और डिजाइन समाधान उद्योग जगत के प्रमुख उद्योग विक्रेताओं के साथ भागीदारी की जा रही है।
64 बिलियन डॉलर का बाजार २०२६ तक
इंडियन इलेक्ट्रॉनिक एंड सेमीकंडक्टर्स एसोसिएशन (आईईएसए) की एक रिपोर्ट के अनुसार २०२१ में देश में सेमीकंडक्टर की आवश्यकताओं का केवल 9 प्रतिशत स्थानीय रूप से पूरा किया गया था। भारतीय सेमीकंडक्टर बाजार का मूल्य 2021 में 27 बिलियन डॉलर था और 2019 से 2026 तक 16 प्रतिशत के स्वस्थ सीएजीआर से बढ़कर 2026 में 64 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
चिप डिजाइनिंग के उपकरण (टूल्स) काफी महंगे होते हैं। इनके रिमोट एक्सेस की अनुमति से चिप निर्माण का कौशल सिखाना व्यक्ति विशेष की रोजगार क्षमता को निश्चित रूप से बढ़ाएगा। दूरस्थ माध्यम से चिप निर्माण की क्षमता को बढ़ाने की योजना श्रेयस्कर है। जहां तक रोजगार संभावना की सिखाने वाले प्रशिक्षकों को नौकरी मिलेगी तो विद्यार्थी इसे कॅरियर के रूप में भी चुन सकते हैं। इस योजना की सबसे बड़ी चुनौती दूर बैठे विद्यार्थी के पास डिवाइस और इंटरनेट सुविधा उपलब्ध होना है। सरकार दूर-दराज के क्षेत्र में कम्प्यूटर सेंटर खोलकर इसका निदान कर सकती है। हम उम्मीद कर सकते हैं निश्चित रूप से वह दिन आएगा जब सेमीकंडक्टर से जुड़ी लैब भारत में होंगी जिनके लिए फिलहाल भारत चीन और ताइवान पर निर्भर है।
झुमा साहा, सहायक प्रोफेसर इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग, आइआइटी गांधी नगर