हाईकोर्ट ने तमिलनाडु राज्य न्यायिक अकादमी को निर्देश दिया कि वह पॉक्सो विशेष न्यायालयों में नियुक्त न्यायाधीशों को इस कानून का ठोस प्रशिक्षण देने की व्यवस्था करे।
मामले के अनुसार नामक्कल जिला निवासी वेंकटचलम ने इलाके की 10 वर्षीय किशोरी का यौन उत्पीडऩ किया और डराया धमकाया। पुदुछत्रम पुलिस स्टेशन में पॉक्सो और भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धाराओं के तहत मामला दर्ज कराया था।
नामक्कल महिला विशेष न्यायालय ने 2014 में मामले की सुनवाई की। जज ने वेंकटचलम को पॉक्सो अधिनियम के तहत तीन साल और भारतीय दंड संहिता के तहत एक साल जेल की सजा सुनाई।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश वेलमुरुगन ने उक्त मामले में हुई अपील पर बुधवार को सुनवाई की। उन्होंने आदेश में निचली कोर्ट की सजा को बरकरार रखा और कहा कि पुलिस ने वेंकटचलम के खिलाफ आरोपों को संदेह से परे साबित कर दिया है।
न्यायाधीश ने हालांकि पॉक्सो और भारतीय दंड संहिता के तहत सुनाई गई सजा के समानांतर चलने के अधीनस्थ कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया। जज ने कहा कि दोषी को दोनों सजा अलग-अलग भुगतने होंगे।
न्यायाधीश ने नामक्कल अदालत को वेंकटचलम को कैद करने के लिए उचित कदम उठाने का भी निर्देश दिया ताकि वह अपनी सजा काट सके। उच्च न्यायालय के मुख्य रजिस्ट्रार और तमिलनाडु राज्य न्यायिक अकादमी के निदेशक को आदेश दिया कि वह पॉक्सो मामलात कोर्ट के जजों को इस कानून के बारे में प्रशिक्षण देने की व्यवस्था करे।