एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा के लिए अस्तित्व में आए पोस्को एक्ट के बाद से इस तरह के मामलों में सजा की दर भी बढ़ी है। इस एक्ट के जरिए देशभर के बच्चों को सुरक्षा मिल रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार पहले लोग सामाजिक कारणों से इस तरह मामलों को पुलिस में लाने से बचते थे। अब नाबालिग लड़कियों के खिलाफ यौन उत्पीडऩ के मामलों की भी शिकायत के लिए लोग आगे आ रहे हैं। इस वजह से ऐसे मामले पहले की तुलना में ज्यादा दर्ज हो रहे हैं। अधिकारी ने बताया कि हाल ही पोल्लाची में पांच नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीडऩ का मामला सामने आने पर पुलिस ने तत्परता से कार्रवाई की। इस मामले में तीन नाबालिग लड़कों को गिरफ्तार किया गया। हालांकि पुलिस के सामने तब परेशानी खड़ी हो गई जब नाबालिग लड़कियों के माता-पिता ने शिकायत दर्ज कराने से इनकार कर दिया। पुलिस को जिला बाल सुरक्षा अधिकारी के समक्ष मामला उठाना पड़ा तब तीन बच्चों की गिरफ्तारी हुई।
बताया जाता है कि गिरफ्तार तीन बच्चों में से एक ने हाल ही दसवीं की परीक्षा दी है जबकि १४ साल का दूसरा आरोपी नौवीं कक्षा में पढ़ता है और वह छुट्टियों के दौरान पार्ट टाइम काम भी करता था। तीसरे आरोपी की उम्र 15 साल है और वह कयर मिल में काम करता है।
अधिकारी ने बताया कि कोयम्बत्तूर ग्रामीण जिले में इस साल जनवरी से अब तक पोस्को एक्ट के तहत कुल पांच मामले दर्ज किएगए हैं। पुलिस के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार पिछले साल ग्रामीण इलाकों में पोस्को एक्ट के तहत कुल ३५ मामले दर्ज किएगए थे। वर्ष 2016 में इनकी संख्या २२ थी। विशेषज्ञों के अनुसार नाबालिगों के खिलाफ यौन उत्पीडऩ के मामले सामाजिक कारणों से भी बढ़ रहे हैं। सिनेमा और इंटरनेट तक बच्चों की आसान पहुंच भी उन्हें विकृतियों की ओर धकेल रही है। परिजनों से भावनात्मक लगाव की कमीभी इसका एक बड़ा कारण है। माता-पिता व्यस्त हैं और बच्चों के लिए उनके पास समय कम है इसलिएवे बच्चों और उनकी समस्याओं पर समुचित ध्यान नहीं दे पा रहे हैं।