scriptतीन से साढ़े तीन वर्ष में पूरा होगा अयोध्या में श्रीराम मंदिर | Shri Ram temple will be completed in Ayodhya in three year | Patrika News

तीन से साढ़े तीन वर्ष में पूरा होगा अयोध्या में श्रीराम मंदिर

locationचेन्नईPublished: Mar 04, 2020 09:58:38 pm

अगले तीन से साढ़े तीन साल में अयोध्या (Ayodhya) में भव्य राम मंदिर (Ram Temple) का निर्माण पूरा हो जाएगा। होली (Holi) के बाद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (Sri Ram Janambhoomi Teerth Kshetra Trust) की बैठक में शुभ मुहूर्त में भूमि पूजन करवाने को अंतिम रूप देने के साथ ही मंदिर निर्माण (Ram temple in Ayodhya) के बारे में निर्णय लिए जाएंगे। इसके साथ ही ट्रस्ट (Trust) का यह प्रयास रहेगा कि आवंटित भूमि के अलावा आसपास और भूमि ली जाए ताकि मंदिर के साथ ही आसपास के इलाके में मंदिर से जुड़ी अन्य

Shri Ram temple will be completed in Ayodhya in three year

Shri Ram temple will be completed in Ayodhya in three year

चेन्नई. अगले तीन से साढ़े तीन साल में अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण पूरा हो जाएगा। होली के बाद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में शुभ मुहूर्त में भूमि पूजन करवाने को अंतिम रूप देने के साथ ही मंदिर निर्माण के बारे में निर्णय लिए जाएंगे। इसके साथ ही ट्रस्ट का यह प्रयास रहेगा कि आवंटित भूमि के अलावा आसपास और भूमि ली जाए ताकि मंदिर के साथ ही आसपास के इलाके में मंदिर से जुड़ी अन्य व्यवस्थाएं विकसित की जा सकें। जल्द ही प्रस्तावित स्थल पर गौचरण का काम शुरू किया जाएगा जिससे भूमि और पवित्र हो सकेंगी।
जल्द होगा काम शुरू
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविन्ददेव गिरि ने राजस्थान पत्रिका को एक विशेष मुलाकात में यह जानकारी दी। कांचीपुरम के दो दिनी कार्यक्रम में भाग लेने आए स्वामी ने यहां चेन्नई में बताया कि दिल्ली में अक्षरधाम भी करीब तीन साल में बनकर तैयार हो गया था। इसी तरह स्टेच्यू ऑफ यूनिटी भी तीन साल में बनकर पूरी हो गई। अब राम मंदिर भी तीन से साढ़े तीन वर्ष मेें ही पूरा कराने का प्रयास रहेगा।
रामलला होगी अन्यत्र प्रतिष्ठाापित
उन्होंने बताया कि 25 मार्च को नवरात्रि लग रही है और इससे पहले रामलला को अन्यत्र प्रतिष्ठाापित किया जाएगा यानी नए अस्थायी मंदिर में रामलला के दर्शन शुरू हो जाएंगे। भक्तगण अब अधिक निकट से रामलला के दर्शन कर सकेंगे। यह एक तरह से अस्थायी मंदिर की तरह होगा जहां रामलला के दर्शन-पूजन की व्यवस्था रहेगी। श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए इस तरह के कदम उठाए गए हैं। गर्भगृह के आसपास ही कहीं सुविधाजनक स्थल पर यह अस्थायी मंदिर बनेगा। बाकी नक्शे के मुताबिक प्रस्तावित भव्य मंदिर योजना के अनुसार आगे बनता रहेगा। अभी तक रामलला टैंट में विराजित हैं। इसे फाइबर से बने मंदिर में शिफ्ट कर दिया जाएगा।
बैठक में होगी भूमि पूजन की तिथि तय
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविन्ददेव गिरि ने बताया कि ट्रस्ट की अगली बैठक में भूमि पूजन को लेकर तिथि तय की जाएगी और इसके बाद राम मंदिर के भव्य निर्माण को लेकर काम शुरू कर दिया जाएगा। मंदिर निर्माण की तिथि व भूमि पूजन का मुहूर्त तकनीकी समिति की रिपोर्ट आने के बाद तय किया जाएगा। इसके लिए नृपेन्द्र मिश्रा की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है जो जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपेंगी। इस कमेटी ने अयोध्या में गर्भगृह व मंदिर परिसर का दौरा किया है। मिट्टी समेत अन्य पहलुओं की जांच का काम भी तकनीकी कमेटी ही कर रही है।
एसबीआई बैंक में खोलेगें खाता
ट्रस्ट की पहली बैठक दिल्ली में 19 फरवरी को हुई थी जिसमें दो नए ट्रस्टियों का चयन किया गया। महंत नृत्यगोपालदास को ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाया गया तथा चंपतराम को महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसी बैठक में निर्णय लिया गया था कि अगली बैठक अयोध्या में रखी जाएगी। अब अगली बैठक होली के बाद होगी। पहली बैठक में यह निर्णय भी लिया गया था कि अयोध्या में एसबीआई बैंक में खाता खोला जाए।
लगेंगे राजस्थान के पत्थर
स्वामी ने बताया कि मंदिर निर्माण में राजस्थान के गुलाबी पत्थर लगेंगे। राष्ट्रपति भवन भी इसी से बना हुआ है। राजस्थान के कारीगर पत्थर तराश रहे हैं। करीब 60 फीसदी से अधिक तराशने का काम पूरा हो गया है। इस काम में अब और अधिक तेजी लाई गई है। अयोध्या में बनने वाले भव्य राम मंदिर में अनुसंधान केन्द्र, ग्रन्थालय, कथास्थल भी बनाए जाएंगे। विश्व का एक बड़ा मंदिर बनाने का प्रयास किया जाएगा तथा इसे एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।
आसपास की जमीन अधिग्रहण के प्रयास
अभी रामजन्म भूमि परिसर की 67 एकड़ जमीन है। भव्य मंदिर के निर्माण के लिए परिसर के आसपास की भूमि के अधिग्रहण के लिए प्रयास किया जाएगा।
मंदिर का प्रारूप करीब दो दशक पहले ही अशोक सिंघल के परामर्श एवं साधु संतों की सहमति से तैयार कर लिया गया था। मंदिर कुछ उसी प्रारूप के आधार पर बनेगा और इसके साथ ही इसे और भी भव्य बनाने पर विचार होगा। भूमिपूजन के लिए सभी समुद्रों एवं पवित्र नदियों का जल लाने पर भी विचार किया जा रहा है।
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