हाजरा कहती हैं उनके मां पिता ने उन्हें पढ़ाई में अच्छा करने एवं समाज सेवा की महत्ता बताई। स्कूल के लौटने के बाद वे रोज बेटियों से बातचीत करते। हालांकि इस दौरान कई मुद्दों पर बात होती थी लेकिन विशेष रूप से वे भविष्य एवं अध्ययन को लेकर चर्चा करते थे। वे कहती हैं पिता का भी सपना था कि वे खुद डाक्टर बने लेकिन ऐसा न हो सका। उनके सपने को उनकी बेटियों ने पूरा किया। फातिमा ने एमबीबीएस पूरा किया तो बाकी बहनें उससे प्रेरित होती चली गई। जब बेटियों की शादी की बात आई तो मां पिता ने कहा कि वे अपने प्रोफेशन के लड़के से शादी करे। इससे वे एक दूसरे को बेहतर समझ सकेंगे।
कतर में करीब 35 साल की नौकरी करने के बाद दंपती अपने बेटियों के साथ केरल लौट आए। दो साल बाद 2014 में अहमद की मृत्यु हो गई। उस समय तक केवल दो बेटियों की ही शादी हुई थी।
मां ने किया उत्साहित
इसके बाद जैना ने अपनी बेटियों को पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए प्रेरित व उत्साहित किया। अपने दुख को उन्होंने कभी बेटियों के सामने नहीं आने दिया। उन्होंने दो बेटियों की शादी भी की। फातिमा वर्तमान में आबू धाबी में मिलिट्री हास्पिटल में काम कर रही है। हाजरा विदेश से लौट आई है और पीजी पाठ्यक्रम करने की योजना कर रही है। आयेशा कोडुन्गल्लूर के एक हास्पिटल में अपनी सेवाएं दे रही है। फैजा एवं उसके पति कोची में काम करते हैं।