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पिता नहीं बन पाया डाक्टर तो छह बेटियों को बनाया एमबीबीएस

locationचेन्नईPublished: Oct 24, 2021 11:25:50 pm

Submitted by:

Santosh Tiwari

बेटियों के जन्म से कभी निराश नहीं हुए दंपती-चार बेटियां कर रही प्रैक्टिस तो दो कर रही पढ़ाई-चारों दामाद भी चिकित्सक-एक बेटी चेन्नई में एमबीबीएस अंतिम वर्ष की छात्रा

पिता नहीं बन पाया डाक्टर तो छह बेटियों को बनाया एमबीबीएस

पिता नहीं बन पाया डाक्टर तो छह बेटियों को बनाया एमबीबीएस

चेन्नई.
परिवार में बेटियों के जन्म पर नाक भौं सिकोड़ने वाले समाज के लिए केरल के एक दंपती ने बेमिसाल उदाहरण पेश किया है। एक या दो नहीं बल्कि छह छह बेटियों के मां बाप होने के बाद भी दोनों ने संघर्ष और मेहनत की बदौलत बेटियों को सफलता के शिखर पर पहुंचाया। दहेज के विरोधी इस दंपती की छहों बेटियां आज डाक्टर बन समाज के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुकी हैं। मजबूत इच्छाशक्ति एवं दूरदृष्टि की दिल को छू लेने वाली यह कहानी केरल के कोझिकोड (नाडापुरम) के रहने वाले अहमद कुन्हमीद कुट्टी एवं उनकी पत्नी जैना अहमद की है। छह बेटियों के जन्म के बाद भी पति पत्नी कभी निराश नहीं हुए बल्कि उन्हें खुश हुई।
प्रगतिशील सोच ने बनाई राह
अहमद प्रगतिशील सोच वाले व्यक्ति थे। उन्होंने अपनी बेटियों के लिए एक ऐसे जीवन की कल्पना की जिसमें वे समाज की बेहतर सेवा कर सकें और दूसरों के लिए रोल मॉडल बन सकें। उनकी इस इच्छा को वास्तविकता में बदलते देर नहीं लगी। सभी छह बेटियों ने अच्छी पढ़ाई की और चार बेटियां डाक्टर बन चुकी हैं। 2 बेटियां एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं।
चार बेटियां फातिमा अहमद, हाजरा अहमद, आयेशा अहमद तथा फैजा अहमद पहले से ही डाक्टर की प्रैक्टिस कर रही हैं। इन सभी के पति भी डाक्टर हैं। रैहाना अहमद चेन्नई में एमबीबीएस के अंतिम वर्ष में हैं। सबसे छोटी बेटी अमीरा अहमद मंगलोर में एमबीबीएस के प्रथम वर्ष में है।
जैना की शादी 12 साल की उम्र में हुई थी। उस समय में दोनों पति पत्नी चेन्नई में एक बिजनेस चलाते थे। पहली बेटी के जन्म के बाद अहमद सितम्बर 1985 में अपनी पत्नी व बेटी के बाद कतर चले गए। वहां उन्होंने रिफाइनरी में नौकरी की। केरल के एक छोटे से गांव से आई यह महिला विदेश में बेटियों की स्टडी एवं पति की ड्यूटी का बेहतर प्रबंधन करने लगी। अच्छे परिवार से होने के बाद भी दंपत्ती ने कंधे से कंधा मिलाकर समाज और देश के लिए एक अनुकरणीय मिसाल पेश किया। खुद भी अपने बलबूते आगे बढ़े और बेटियों को भी आत्मनिर्भर बनाया।
हाजरा कहती हैं उनके मां पिता ने उन्हें पढ़ाई में अच्छा करने एवं समाज सेवा की महत्ता बताई। स्कूल के लौटने के बाद वे रोज बेटियों से बातचीत करते। हालांकि इस दौरान कई मुद्दों पर बात होती थी लेकिन विशेष रूप से वे भविष्य एवं अध्ययन को लेकर चर्चा करते थे। वे कहती हैं पिता का भी सपना था कि वे खुद डाक्टर बने लेकिन ऐसा न हो सका। उनके सपने को उनकी बेटियों ने पूरा किया। फातिमा ने एमबीबीएस पूरा किया तो बाकी बहनें उससे प्रेरित होती चली गई। जब बेटियों की शादी की बात आई तो मां पिता ने कहा कि वे अपने प्रोफेशन के लड़के से शादी करे। इससे वे एक दूसरे को बेहतर समझ सकेंगे।
कतर में करीब 35 साल की नौकरी करने के बाद दंपती अपने बेटियों के साथ केरल लौट आए। दो साल बाद 2014 में अहमद की मृत्यु हो गई। उस समय तक केवल दो बेटियों की ही शादी हुई थी।
मां ने किया उत्साहित
इसके बाद जैना ने अपनी बेटियों को पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए प्रेरित व उत्साहित किया। अपने दुख को उन्होंने कभी बेटियों के सामने नहीं आने दिया। उन्होंने दो बेटियों की शादी भी की। फातिमा वर्तमान में आबू धाबी में मिलिट्री हास्पिटल में काम कर रही है। हाजरा विदेश से लौट आई है और पीजी पाठ्यक्रम करने की योजना कर रही है। आयेशा कोडुन्गल्लूर के एक हास्पिटल में अपनी सेवाएं दे रही है। फैजा एवं उसके पति कोची में काम करते हैं।
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