पल-पल रहे भय के साये में
कोरोना संक्रमण ने हर उम्र के व्यक्ति को अपनी चपेट में लिया। किसी ने डटकर इस संक्रमण का मुकाबला किया तो किसी का एक-एक पल मौत के भय के साये में रहा। पुरुषवाक्कम निवासी रवि कुमार (बदला हुआ नाम) बताते हैं कि उनके परिवार में सबसे पहले बड़े पुत्र को कोरोना संक्रमण हुआ। इससे पूरा परिवार सदमे में आ गया। परिवार के अन्य सदस्यों के सैंपल भी लिए गए तो सभी कोरोना पॉजिटिव निकले। इस संक्रमण से लोगों की हो रही मौत ने परिवार को पहले ही डरा दिया था। रवि के साथ ही पत्नी और दो पुत्र ने बताया कि कोविड केयर सेंटर में भर्ती होने के बाद अन्य मरीजों को स्वस्थ होकर घर जाते देखा तो डर थोड़ा कम हुआ। कुछ दिनों तक उपचार के बाद स्वस्थ होने पर उन्हें भी छुट्टी दे दी गई। अब पूरा परिवार संक्रमण से बचाव को लेकर सावधानी बरत रहा है।
पहला मरीज मिलने पर मचा था हडक़ंप
तमिलनाडु में कोरोना ने 7 मार्च को दस्तक दी थी। पहला मामला चेन्नई में दर्ज हुआ। कोरोना से पहली मौत 24 मार्च को दर्ज हुआ था। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग सहित प्रशासनिक अमले में हडक़ंप मच गया था। 24 सितम्बर तक कोरोना से मरने वालों की संख्या 9 हजार पार कर गई है।
तीन माह में संक्रमण ने ढाया सितम
कोरोना संक्रमित मरीजों के आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले तीन-चार महीनों में सबसे अधिक सितम ढाया। इस माह हर रोज 5400-5600 के बीच कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले जिसके बाद कुल मरीजों की संख्या 5.63 के पार पहुंच गई है।
शहरी क्षेत्रों से फैला संक्रमण
शुरूआत में चेन्नई और पडोसी जिलों के साथ-साथ तब्लीगी जमात से लौटे मुस्लिम समुदाय के लोगों से कोरोना वायरस फैला लेकिन अनलॉक में धीरे-धीरे छूट देने के बाद महानगर में बसे लोग अपने पैतृक गांव रवाना होने लगे जिसके बाद राज्य के 37 जिलों में कोरोना संक्रमण फैल गया और अब यह धीरे-धीरे फैल रहा है। शुरूआत में लंबे लॉकडाउन लागू किए जाने से संक्रमण के बड़े पैमाने पर फैलने में कुछ देरी हुई, लेकिन नियंत्रण की कभी संभावना नहीं रही। इसलिए राज्य के सभ्ी जिलों में संक्रमण की संख्या में निश्चित तौर पर वृद्धि देखा जा रहा है।