राज्य के देहाती लोगों के उत्थान में संस्थान के संस्थापक अरुतचेलवर डॉ. एन. महालिंगम की भूमिका को रेखांकित करते हुए नायडू ने उनको एक आदर्श व्यक्ति बताया और अपील की कि उनके गुणों का वर्तमान पीढ़ी के युवाओं और राजनीतिज्ञों को अनुसरण करना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने शहरों और गांवों के बीच बढ़ती खाई पर चिंता व्यक्त की और जोर देकर कहा कि ग्रामीण लोगों के फायदे के लिए शैक्षणिक संस्थान, लगातार बिजली, पीने का पानी और सस्ती दरों पर चिकित्सा जैसी शहरी सुविधाएं देने की आवश्यकता है।
उपराष्ट्रपति ने जोर दिया कि टेक्नोलॉजी वाले नौकरियों के बाजार में अवसरों को प्राप्त करने के लिए कौशल हासिल करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बदलती प्रौद्योगिकी के साथ आपको अपने कौशल में लगातार सुधार करने की आदत डालनी चाहिए। कौशल विकास व्यवसाय के वैश्विक माहौल की बढ़ती अनिश्चितताओं से निपटने, उसे प्रखर बनाने और चमकाने के लिए चारदीवारी का काम करता है।
एक प्रमुख रोजगार समाधान कंपनी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए नायडू ने युवा छात्रों को आगाह किया कि वे स्थिति की गंभीरता को समझें। इस कंपनी ने दावा किया था कि भारत के 90 प्रतिशत से अधिक इंजीनियरिंग ग्रेजुएट रोजगार के अयोग्य हैं।
विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और प्रमुख संस्थानों को नई खोजों पर ध्यान देने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा कि नई खोजें लोगों का जीवन बेहतर बनाने में मददगार होनी चाहिए। नए आविष्कार करते समय हमें अपने माहौल को भी ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने प्रकृति की रक्षा के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल और प्रकृति के खोये हुए संतुलन को बहाल करने की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया।
इससे पहले उप-राष्ट्रपति ने परिसर में डायमंड जुबली ब्लॉक और मिराकल वेलनैस क्लिनिक का लोकार्पण किया और डॉक्टरों से क्लिनिक में मौजूद सुविधाओं और मरीजों को दिए जा रहे इलाज के बारे में बातचीत की।
इस अवसर पर तमिलनाडु के ग्रामीण विकास और स्थानीय प्रशासन मंत्री एस. पी. वेलुमणि, एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. एम. माणिक्कम, सचिव डॉ. सी. रामास्वामी, छात्र संकाय के सदस्य और अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।