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लॉकडाउन में घट गए भ्रष्टाचारी

locationचेन्नईPublished: Aug 02, 2020 07:44:05 pm

अमूमन हर महीने दो दर्जन भ्रष्टाचारियों के मामले आते थे लेकिन लॉकडाउन में केवल 14 भ्रष्टाचारी ही

slowed down corruption

slowed down corruption

चेन्नई. लॉकडाउन के चलते तमिलनाडु में भ्रष्टाचारी कम हो गए। सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निदेशालय के अनुसार अमूमन हर महीने भ्रष्टाचार के 20 से 25 मामले रजिस्टर होते हैं। अब 24 मार्च को लॉकडाउन के बाद केवल 14 मामले ही दर्ज हुए। निदेशालय सरकारी गाइडलाइन के अनुसार अभी आधे कर्मचारियों के साथ काम कर रहा है। निदेशालय केन्द्रीय, पश्चिमी व दक्षिणी रेंज व विशेष सेल में विभाजित है।
केन्द्रीय रेंज में कोई मामला नहीं
केन्द्रीय रेंज में 16 मार्च से अब तक कोई मामला ही दर्ज नहीं हुआ है। पश्चिम रेंज में 14 इकाइयां कार्यरत हैं जिसमें इरोड इकाई ने पांच जून को एक मामला दर्ज किया। वेलूर ने 26 जून व 11 जुलाई, तिरुपुर ने 13 जुलाई, कोयम्बत्तूर ने 26 मार्च तथा पेरम्बलूर में जून महीने में दो मामले दर्ज हुए।
दक्षिण रैंज में 15 इकाइयां कार्यरत है। तिरुचि इकाई ने 1 एवं 19 जून को एफआईआर दर्ज की। डिण्डिगुल ने 19 मई व 8 जून, तिरुनेलवेली ने 15 जुलाई, कन्याकुमारी ने 9 जुलाई व करुर ने 9 जुलाई को मामला दर्ज किया।
बन्द के चलते आवाजाही रही प्रभावित
निदेशालय के सूत्रों की मानें तो अप्रेल व मई में चेन्नई व तमिलनाडु के कार्यालय पूरी तरह बन्द रहे। लोगों की आवाजाही भी लगभग बन्द रही, इसके चलते सरकारी कार्यालयों मे भ्रष्टाचार कम हुआ। इसके साथ ही समूचा ध्यान कोविड-19 से निपटने पर अधिक लगा रहा। भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 2017 में संशोधन के तहत किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए सतर्कता आयुक्त की स्वीकृति जरूरी है। तमिलनाडु में सतर्कता आयुक्त मुख्य सचिव हैं जो कोविड-19 की रोकथाम में लगे रहे। ऐसे में निदेशालय यदि फाइल भी आगे भेजते तो सचिवालय में अटकी रहती। हालांकि शिकायतों के आधार पर ट्रैक की कार्रवाई हुई और गिरफ्तारी भी की गई। लेकिन कोविड-19 के फैलाव को देखते हुए गिरफ्तारी के वक्त उचित सुरक्षा प्रोटोकाल बनाए रखना होता था। इस दौरान पुराने मामलों में कागजी कार्रवाई व्यवस्थित रूप से होती रही।
निदेशालय करें त्वरित कार्रवाई
भ्रष्टाचार रोकथाम के लिए काम करने वाले एक एनजीओ अराप्पोर एयाक्कम के संयोजक जयराम वेंकटेशन कहते हैं, लाकडाउन के चलते भ्रष्टाचार के मामलों में कमी अपेक्षित थी। अब पंजीयन विभाग कार्यालय ने काम करना शुरू कर दिया है। ऐसे में निदेशालय को बताना चाहिए कि कितनी आकस्मिक जांचें की गई। वे कहते हैं, फरवरी ने एक व्यक्ति ने निदेशालय को शिकायत की थी कि उसे कानूनी उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र की एवज में रिश्वत की मांग की जा रही है। लेकिन उस शिकायत पर कोई कारवाई नहीं हुई। निदेशालय ने कई पुरानी शिकायतों पर ही कोई गौर नहीं किया। इन्हें साक्ष्य के रूप में इकट्ठा कर लॉकडाउन पीरियड में एफआईआर लगाई जा सकती थी।
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लॉकडाउन में भ्रष्टाचार के कहां कितने मामले
केन्द्रीय रेंज- 0
पश्चिम रेंज- 7
दक्षिण रेंज- 7
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