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स्कूल और दोस्तों से दूर रहने पर हिंसक हो रहे विशेष देखभाल वाले बच्चे

locationचेन्नईPublished: May 27, 2021 11:08:05 pm

स्कूल और दोस्तों से दूर रहने पर हिंसक हो रहे विशेष देखभाल वाले बच्चे- इन दिनों ऐसे बच्चों पर खास ध्यान देने की जरूरत

special child

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चेन्नई.
केस -1
पेरेंट्स एसोसिएशन फॉर इंटेलेक्चुअली डिसएबल्ड की एक बैठक में एक माँ यह बताते हुए रोने लगी कि कैसे उसकाऑटिस्टिक बेटा तेजी से हिंसक होता जा रहा है। ऐसे में उसका बड़ा बेटा भी अपनी दुकान नहीं खोल पा रहा है।
केस-2
पिछले दिनों जब एक माता-पिता का मानसिक रूप से विकलांग बच्चे की कथित तौर पर पिटाई करने का एक वीडियो वायरल हुआ, तो सभी ने हकीकत जाने बिना ही पिता को दोषी ठहराया।
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यह दो उदाहरण मात्र है। इन दिनों कोरोना एवं लॉकडाउन के चलते ऐसी घटनाएं तेजी से सामने आ रही है। ऐसे कई उदाहरण हैं जब हमारे कई बच्चों को मनोवैज्ञानिक जटिलताओं के कारण मानसिक अस्पतालों में भर्ती होना पड़ा। इन दिनों कोरोना के चलते स्कूलें बन्द हैं। ऐसे में विशेष देखभाल वाले बच्चे बहुत प्रभावित हुए है। स्कूल बन्द होने एवं मित्रों को नहीं पाकर ऐसे बच्चे चिड़चिड़े, हिंसक होते जा रहे हैं। अपने स्कूलों के परिचित वातावरण और शिक्षकों व दोस्तों के बिना ऐसे बच्चों खुद को अकेला पा रहे हैं।
रचनात्मक काम नहीं हो रहे
स्कूलों में जाने से इन बच्चों का जीवन गतिशील बना रहता है। उन्हें अपनी रचनात्मकता को दिशा देने में मदद मिलती है। लेकिन अब यह सब रूका हुआ है। कोविड-19 एवं लॉकडाउन के कारण विशेष बच्चे को प्रबंधित करना काफी मुश्किल हो रहा है। ऐसे में पहले से ही तनाव झेल रहे वाले माता-पिता की चिंता और बढ़ गई है।
ऑनलाइन विकल्प इनके लिए अधिक उपयोगी नहीं
ऑनलाइन कक्षाएं शायद ही इन बच्चों के लिए वास्तविक कक्षाओं के लिए विकल्प हो सकती हैं। यहां तक कि कई परिवार गरीबी की चपेट में आ रहे हैं क्योंकि माता-पिता अपनी नौकरी छोड़ घर पर रहने के लिए मजबूर हैं। विशेष स्कूलों द्वारा दी जाने वाली ऑनलाइन कक्षाओं में भी कई तरह की दिक्कतें आ रही है। क्योंकि कई माता-पिता या तो निरक्षर हैं या स्मार्टफोन खरीदने में असमर्थ है।
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रचनात्मक गतिविधयों में रखें व्यस्त
विशेष बच्चों को जितना हम रचनात्मक गतिविधियों से जोड़कर रखेंगे, वे उतना ही अच्छा महसूस करेंगे। इससे ऐसे बच्चे खुद को व्यस्त भी महसूस कर सकेंगे। ऐसे बच्चों को प्यार से समझाने की अधिक जरूरत होती है। ऐसे बच्चों के साथ बैठकर छोटे-छोटे खेल खेलें।
– किशन मोदी, सामाजिक कार्यकर्ता, चेन्नई।
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