गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय,
बलिहारी गुरु आपकी, गोविंद दियो मिलाय।
हमारे साहित्य में ऐसे अनेक कवि हुए हैं जिन पर हम गर्व करते हैं क्योंकि उन्होंने गुरु की महिमा समझाई। माता पिता के बाद ज्ञान का पहला स्थान गुरु का ही होता है। जिन्होंने घर के बाद बाहर की दुनिया का ज्ञान दिया। सीख देकर, तो कभी गुस्सा करके वे हमें प्रोत्साहित करते हैं। वे गुरु ही हैं जो हमें भगवान से परिचित करवाते हैं, बड़ों का आदर करना सिखाते हैं और सबके प्रति प्रेम रखने की सीख भी देते हैं।
पद्मा सी., सैकंड ईयर बीएससी
जीएसएस जैन कॉलेज फॉर वुमेन
यह दिवस डॉ. राधाकृष्णन की याद में मनाया जाता है। दशकों से हम शिक्षक दिवस मनाते आ रहे हैं। हर शिक्षक के लिए यह दिवस महत्वपूर्ण होता है क्योंकि हर शिक्षक को विद्यार्थी के साथ उसके भूतकाल से लेकर वर्तमान तक जोड़ता है। आज की युवा पीढ़ी के लिए अध्यापक न केवल पथ प्रदर्शक बनकर रह रहा है, बल्कि एक अच्छे मित्र की भूमिका भी निभा रहा है।
डॉ. ईश्वरी,असिस्टेंट प्रोफेसर
जी.एस.एस.एस. जैन कॉलेज फॉर वुमन
हमारे आगे बढऩे में और जब हम कुछ बन जाते हैं और हम किसी बड़े मुकाम पर पहुंच जाते हैं तो हमारे माता पिता और परिवार के साथ सबसे ज्यादा गर्व हमारे शिक्षक को ही होता है। शिक्षक हमें ज्ञान देने के साथ ही हमारे जीवन को दिशा देते हैं। वे छात्रों को अपने बच्चों के रूप में प्यार करते हैं। मेरे अनुसार आज मैं जहां पहुंची हूं उसमें सबसे बड़ा हाथ मेरे शिक्षकों का ही है। वैसे तो इंटरनेट पर है हर तरह का ज्ञान, पर अच्छे बुरे की नहीं है उसे पहचान।
कुसुम शर्मा, बीएससी प्रथम वर्ष ,कन्यका परमेश्वरी कन्या महाविद्यालय
माता पिता, गुरु और देवों में गुरु का स्थान श्रेष्ठ होता है। गुरु प्रत्येक छात्र या बच्चे के जीवन में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। छात्र को सुशिक्षित बनाने की प्रक्रिया में एक स्तंभ के रूप में उनका साथ देते हैं और धीरे धीरे उनके जीवन का स्तंभ बन जाते हैं। जो भी व्यक्ति हमें जीवन के बारे में सीखा जाता है वही हमारा शिक्षक होता है। हर शिक्षक को उनके बलिदान और समाज के लिए उनकी सेवा को पर्याप्त सम्मान देना चाहिए।
एच. स्वर्णा लक्ष्मी, बी कॉम तृतीय वर्ष, शंकरलाल सुदंरबाई शासुन जैन महिला महाविद्यालय
आज की जीवनशैली और प्रौद्योगिकी में बदलते दौर में शिक्षकों को भी अपने आपको वक्त के साथ खुद को अपडेट रखना पड़ता है क्योंकि उन्हें छात्रों की अपेक्षा और समझ के अनुकूल होने की जरूरत होती है। यही स्वस्थ समाज की नींव है। युवा मस्तिष्क को बेहतर कल के लिए तैयार करने की रणनीति आज के विद्वान तैयार करें।
एस. मलरविझी, असिस्टेंट प्रोफेसर,
एमओपी वैष्णव कॉलेज फॉर वुमेन