जैसे दीमक लकड़ी में पनपती है, उसी को नुकसान पहुंचाती है। वैसे ही हमारा बुरा भाव हमारे मन में ंंआता है और हमारा ही नुकसान करता है
मुख्य वक्ता चेन्नई से आए राकेश खटेड ने कहा कि जैसे दीमक लकड़ी में पनपती है, उसी को नुकसान पहुंचाती है। वैसे ही हमारा बुरा भाव हमारे मन में ंंआता है और हमारा ही नुकसान करता है। भाव उच्च कोटि का होने से कर्म का बंधन भी कम होता है। जितना भाव निर्मल उतना ही जीवन उत्कृष्ट होता है। हिंसा का अल्पीकरण करने से पाप कर्म का बंधन कम होने के साथ – साथ भावनाएं भी शुभ होती है।मीडिया प्रभारी चंचल पारख ने बताया कि कार्यशाला का मंगलाचरण गौतम डोशी ने किया। खटेड का परिचय खुशबू भंडारी ने दिया। सम्मान पदम चंद भण्डारी, सभा अध्यक्ष रतन लाल बाफना, डॉ योगिराज का सम्मान उम्मेद भंडारी और प्रकाश ने किया। कार्यशाला का संचालन सुरेश पटावरी ने किया। रणजीत भंडारी ने धन्यवाद दिया।
मुख्य वक्ता चेन्नई से आए राकेश खटेड ने कहा कि जैसे दीमक लकड़ी में पनपती है, उसी को नुकसान पहुंचाती है। वैसे ही हमारा बुरा भाव हमारे मन में ंंआता है और हमारा ही नुकसान करता है। भाव उच्च कोटि का होने से कर्म का बंधन भी कम होता है। जितना भाव निर्मल उतना ही जीवन उत्कृष्ट होता है। हिंसा का अल्पीकरण करने से पाप कर्म का बंधन कम होने के साथ – साथ भावनाएं भी शुभ होती है।मीडिया प्रभारी चंचल पारख ने बताया कि कार्यशाला का मंगलाचरण गौतम डोशी ने किया। खटेड का परिचय खुशबू भंडारी ने दिया। सम्मान पदम चंद भण्डारी, सभा अध्यक्ष रतन लाल बाफना, डॉ योगिराज का सम्मान उम्मेद भंडारी और प्रकाश ने किया। कार्यशाला का संचालन सुरेश पटावरी ने किया। रणजीत भंडारी ने धन्यवाद दिया।