कृष्ण के जीवन से प्रेरणा
इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि हरे कृष्णा मूवमेन्ट के संस्थापक आचार्य श्रीला प्रभुपदा ने अपना समूचा जीवन समाज के उत्थान में लगा दिया। समाज को कृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेने का बात कही। दुष्यंत श्रीधर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। रथयात्रा बसंत नगर से शुरू हुई तथा महालक्ष्मी मंदिर होते हुए तिरुवान्म्यूर पहुंची। मधु पंडित दास ने कहा कि यह रथयात्रा उन लोगों के लिए खासी उपयोगी साबित हो सकेगी जो किन्ही कारणों ने मंदिर में दर्शन के लिए नहीं पहुंच पाते हैं।
इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि हरे कृष्णा मूवमेन्ट के संस्थापक आचार्य श्रीला प्रभुपदा ने अपना समूचा जीवन समाज के उत्थान में लगा दिया। समाज को कृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेने का बात कही। दुष्यंत श्रीधर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। रथयात्रा बसंत नगर से शुरू हुई तथा महालक्ष्मी मंदिर होते हुए तिरुवान्म्यूर पहुंची। मधु पंडित दास ने कहा कि यह रथयात्रा उन लोगों के लिए खासी उपयोगी साबित हो सकेगी जो किन्ही कारणों ने मंदिर में दर्शन के लिए नहीं पहुंच पाते हैं।
समूचे विश्व में फैलाया
वृन्दावन चन्द्रोदय मंदिर के अध्यक्ष चंचलापति दास ने कहा कि श्रीला प्रभुपदा ने इस महोत्सव को समूचे विश्व में फैलाया। तिरुवानमियूर के वाल्मीकि नगर में आरती के साथ महोत्सव का समापन हुआ। इससे पहले रथयात्रा बसंत नगर, इंदिरा नगर एवं तिरुवानमियूर के विभिन्न गलियों से होते हुए निकाली गई।
वृन्दावन चन्द्रोदय मंदिर के अध्यक्ष चंचलापति दास ने कहा कि श्रीला प्रभुपदा ने इस महोत्सव को समूचे विश्व में फैलाया। तिरुवानमियूर के वाल्मीकि नगर में आरती के साथ महोत्सव का समापन हुआ। इससे पहले रथयात्रा बसंत नगर, इंदिरा नगर एवं तिरुवानमियूर के विभिन्न गलियों से होते हुए निकाली गई।
पूजा अर्चना रास्ते में भक्तों ने नारियल, फल एवं माला से पूजा अर्चना की। हरे कृष्णा मूवमेन्ट के संस्थापक आचार्य श्रीला प्रभुपदा ने सबसे पहले भारत से बाहर सेन फ्रांसिस्कों ने 1967 में रथयात्रा महोत्सव की शुरुआत की। आज विश्व के कई देशों के शहरो में यह महोत्सव उत्साह एवं उमंग के साथ मनाया जा रहा है।