script

श्रीलंकाई तटरक्षक बल के दुस्साहस का निपटारा जरूरी : रामदास

locationचेन्नईPublished: Mar 25, 2019 12:44:54 am

पीएमके संस्थापक डा. एस. रामदास ने श्रीलंकाई तटरक्षक बल द्वारा ११ तमिल मछुआरों की गिरफ्तारी पर क्षोभ जताया है। रामदास ने इसे बल का दुस्साहस

पीएमके संस्थापक डा. एस. रामदास

पीएमके संस्थापक डा. एस. रामदास

चेन्नई।पीएमके संस्थापक डा. एस. रामदास ने श्रीलंकाई तटरक्षक बल द्वारा ११ तमिल मछुआरों की गिरफ्तारी पर क्षोभ जताया है। रामदास ने इसे बल का दुस्साहस बताया और उसके अतिक्रमी बर्ताव के निपटारे पर जोर दिया।

रामदास ने रविवार को जारी वक्तव्य में कहा कि बंगाल की खाड़ी में कच्चतीवू के पास मछली पकड़ते वक्त ११ तमिल मछुआरों को अवैध तरीके से श्रीलंकाई तटरक्षक बल गिरफ्तार कर ले गई। श्रीलंकाई बल की यह कार्रवाई अधिकारों का अतिक्रमण और दुस्साहस है जिसकी वे कड़ी निन्दा करते हैं।

उन्होंने दोहराया कि कच्चतीवू के पास के जलीय क्षेत्र में मछली पकडऩे का परम्परागत हक भारतीय मछुआरों को प्राप्त है। इस पृष्ठभूमि में श्रीलंकाई तटरक्षक बल का उनको गिरफ्तार करना अतिक्रमण की तरह है। केंद्र व राज्य सरकार के दबाव की वजह से पिछले कुछ सप्ताहों से तमिल मछुआरों की गिरफ्तारी रुकी हुई थी। श्रीलंका सरकार ने उनकी जेल में बंद मछुआरों को बिना किसी शर्त के रिहा भी किया था, लिहाजा फिर से गिरफ्तारी का सिलसिला शुरू किया जाना अस्वीकार्य है।

रामदास ने गंभीर आरोप लगाया कि गत ३५ सालों में श्रीलंकाई बल ने ८०० से अधिक तमिल मछुआरों को मार डाला है। हजारों मछुआरों पर हमले हुए और उनकी मोटरबोट पर कब्जा कर लिया गया। इन घटनाओं की वजह १९७४ में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा एक समझौते के तहत कच्चतीवू श्रीलंका को सौगात के रूप में देना है। उस वक्त राज्य में डीएमके सत्ता में थी जिसने निजी स्वार्थवश यह होने दिया। राज्य की जनता के साथ उस वक्त हुई दगाबाजी को कोई नहीं भुला सकता।

उन्होंने अनुरोध किया कि श्रीलंकाई उच्चायुक्त से संपर्क कर कूटनीतिक उपाय के माध्यम से केंद्र सरकार श्रीलंकाई कैद से ११ मछुआरों व उनकी नौकाओं की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करे। रामदास ने विश्वास दिलाया कि इन घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने, कच्चतीवू के अधिग्रहण और मछुआरों के हितार्थ पृथक मंत्रालय के गठन के लिए राजग सार्थक प्रयास करेगा।

ट्रेंडिंग वीडियो