वारंगल के राजू ने बनाई डिवाइस….ऑटोमैटिक कंट्रोल होगी स्ट्रीट लाइट
चेन्नईPublished: May 16, 2022 10:57:50 pm
इन्फ्रारेड सेंसर, रिले, इलेक्ट्रिकल कंडक्टर और एमसीबी स्विच का इस्तेमाल कर बनाया ‘नेचुरल स्ट्रीट लाइट्स कंट्रोल सिस्टम’
वारंगल के राजू ने बनाई डिवाइस….ऑटोमैटिक कंट्रोल होगी स्ट्रीट लाइट
चेन्नई. तेलंगाना के वारंगल जिले के एक आविष्कारक ने बिजली बचाने के लिए लाइट डिपेंडेंट रेसिस्टर बनाया है। ग्रामीणों की समस्याएं हल करने के लिए अपने कम लागत वाले नवाचारों के लिए पहचान बनाने वाले वारंगल जिले के एक प्रसिद्ध आविष्कारक मुप्पारापु राजू अब लाइट डिपेंडेंट रेसिस्टर (एलडीआर) सेंसर के साथ आए हैं। यह मैन्युअल हस्तक्षेप के बिना स्ट्रीट लाइट को नियंत्रित करने एवं बिजली बचाने में मदद करता है। दुग्गोंडी मंडल के गोपालपुरम गांव निवासी राजू अपने आविष्कार को ‘नेचुरल स्ट्रीट लाइट्स कंट्रोल सिस्टम’ कहते हैं।
पहले गांव में स्ट्रीट लाइट पर लगाया
पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसे गांव में स्ट्रीट लाइट पर लगाया गया था। इसकी सफलता को देखते हुए हनमकोंडा, वारंगल, महबूबाबाद, जोगुलम्बा गडवाल, संगारेड्डी, करीमनगर, कामारेड्डी और यादाद्री भुवनेश्वर जिलों की 600 पंचायतों में 2000 से अधिक एलडीआर उपकरण लगाए गए हैं। इसे मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव द्वारा गोद लिए गए गांव वसलामरी में भी लगाया गया था। यादाद्री भुवनगिरी कलक्टर पामेला सत्पथी ने गांव में स्ट्रीट लाइट के लिए एलडीआर सेंसर लगाने की पहल की।
पड़ोसी ग्रामीण भी अपनाने को तैयार
इसकी सफलता को देखकर पड़ोसी ग्रामीण भी अपने गांवों में इस व्यवस्था को अपनाने के लिए आगे आ रहे हैं। राजू ने बताया कि डिवाइस के लिए इन्फ्रारेड सेंसर, रिले, इलेक्ट्रिकल कंडक्टर और एमसीबी स्विच का इस्तेमाल किया गया है। एक इन्फ्रारेड सेंसर दिन में होने वाली रोशनी का पता लगाने के लिए काम करता है। रिले कंडक्टर को बिजली की आपूर्ति पास करेगा, जो रोशनी को शक्ति प्रदान करेगा। मुख्य बिजली आपूर्ति केन्द्र पर सेंसर लगाया जाएगा, जो 40 से 50 लाइट्स से जुड़ा है।
3200 रुपए का एक उपकरण
राजू ने बताया कि एक उपकरण की लागत 3200 रुपये आती है और उसे 3800 रुपये में बेच जाता है। इस एलडीआर सिस्टम से गांव बिजली बचा सकते हैं। राज्यभर के गांवों में एलडीआर सिस्टम की स्थापना पर आभार व्यक्त करते हुए राजू ने नलगोंडा कलक्टर प्रशांत जीवन पाटिल का आभार जताया, जो 2018 में वारंगल कलक्टर थे, जब जिले में डिवाइस लगाई गई थी।