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विधि छात्र के साथ मारपीट मामले में दो लाख मुआवजा दे राज्य सरकार

locationचेन्नईPublished: Mar 12, 2019 02:09:03 pm

Submitted by:

PURUSHOTTAM REDDY

राज्य मानवाधिकार आयोग का राज्य सरकार को आदेश

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विधि छात्र के साथ मारपीट मामले में दो लाख मुआवजा दे राज्य सरकार

मदुरै. राज्य मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को तीन पुलिसकर्मियों द्वारा विधि छात्र के साथ मारपीट करने और जाति के नाम पर गाली देने के मामले में दो लाख रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया है। मामला वर्ष २०१२ का विरुदनगर जिले का है।
आयोग ने राज्य सरकार को कहा कि अपराधियों से मुआवजा की राशि वसूली जाए जिसमें ए मुकुलम पुलिस थाने के पुलिस विशेष उप-निरीक्षक अंबुराज, पुलिस कांस्टेबल प्रभू और राजशेखर से ५०-५० हजार रुपए लेना शामिल है।
याचिकाकर्ता पी. मनोहरण के अनुसार मामला २ जनवरी २०१२ का है जब वह चौथे वर्ष में पढ़ रहा था। वह अपने चाचा के साथ ए मुकुलम पुलिस थाने आया था। मनोहरण के दोनों चाचा गुरुप्रथम और रविचंद्रन के साथ पारिवारिक झगड़ा था। मामला पुलिस थाने पहुंचा और मामले की पड़ताल शुरू हुई। जब एसएसआई अंबुराज ने गुरुप्रथम को पूछताछ के लिए थाने बुलाया तो मनोहरण भी उसके साथ थाने आया और उनसे पूछताछ में दखल देते हुए कहा कि मामला पारिवारिक झगड़े का है और इसे सिविल कोर्ट में सुलझाया जाएगा। इस बात को लेकर उनमें झगड़ा हो गया। इस दौरान अंबुराज और दोनों कांस्टेबल प्रभू व राजशेखर ने मनोहरण को पीट दिया और जाति के नाम पर गाली दी। एसएसआई ने उसके कपड़े उतरवा दिए और घुटने पर बैठने को कहा। थाने आने वाले आला अधिकारी ने अंबुराज को रोका। याचिकाकर्ता ने बताया कि एसएसआई को अपना काम करने से रोकने और उसके साथ मारपीट करने का झूठा मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया। याचिकाकर्ता के अनुसार उसने मजिस्टे्रट को बताया कि उसके साथ मारपीट की गई व मजिस्टे्रट ने जांच की तथा उसे नौ दिन के लिए अस्पताल भेजा। नौ दिन अस्पताल में इलाज के बाद उसे जेल भेज दिया गया। जवाब में एसएसआई ने कहा कि याचिकाकर्ता ने उसका काम करने से रोका, साथ ही अंबुराज ने दोनों पुलिस कांस्टेबलों को जाति के नाम पर गाली देने की बात कही।
मामले की सुनवाई के दौरान राज्य मानवाधिकार आयोग के न्यायाधीश ने पाया कि एसएसआई की शिकायत के बाद अरुप्पुकोट्टै के मजिस्ट्रेट ने याचिकाकर्ता को बरी कर दिया। इसके साथ ही न्यायाधीश ने मजिस्टे्रट के रिमांड में चोटिल हुए याचिकाकर्ता की रिहाई के आदेश को देखते हुए पाया कि पुलिसकर्मियों ने जेल के भीतर मानवाधिकार का उल्लंघन किया। इसलिए आयोग ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि छात्र को मुआवजा दे।
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