डीएमके वूमन विंग सचिव और तुत्तुकुड़ी सांसद कनिमोझी ने बताया कि अस्थाई रूप से चार महीने के लिए ऑक्सीजन उत्पादन की अनुमति देने के संबंध में प्रस्ताव पारित किया गया है। स्थिति के आधार पर बाद में निर्णय की समीक्षा की जाएगी। सर्वदलीय बैठक उस वक्त की गई है जब हाल ही में वेदांता की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से स्टरलाइट प्लांट को फिर से खोलने की अनुमति देने पर विचार करने को कहा था। अपनी चाचिका में वेदांता ने कहा था कि कोविड 19 रोगियों के इलाज के लिए मेडिकल ऑक्सीजन की वर्तमान मांग को पूरा करने के लिए प्लांट प्रति दिन एक हजार टन ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकता है।
बैठक में पारित किए गए प्रस्ताव के अनुसार प्लांट को सिर्फ ऑक्सीजन प्रोड्यूस करने के लिए खुलने की अनुमति होगी और ऑक्सीजन का प्रोडक्शन तांजेडको द्वारा आपूर्ति की जाने वाली बिजली के माध्यम से होगा। इसके अलावा प्लांट को कॉपर और अन्य बाइप्रोडक्ट के प्रोडक्शन की अनुमति नहीं होगी। प्रस्ताव में आगे कहा कि अतिरिक्त ऑक्सीजन की आपूर्ति अन्य राज्यों को की जा सकती है। ऑक्सीजन के उत्पादन की निगरानी जिला अधिकारियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं सहित विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा की जाएगी।
इसी बीच एमडीएमके महासचिव वाइको ने राज्य सरकार से ऑक्सीजन उत्पाद के लिए स्टरलाइन प्लांट पर नियंत्रण करने और उत्पादन के लिए अन्य राज्य सरकार के उपक्रमों से इंजीनियरों को नियुक्त करने का आग्रह किया। सरकार अनुबंध के आधार पर वेदांता के कर्मचारियों को काम पर रख सकती है, लेकिन कंपनी प्रबंधन को प्लांट चलाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष एल. मुरुगन ने कहा कि यह अस्थाई व्यवस्था है। उत्पादित ऑक्सीजन का मुख्य रूप से तमिलनाडु के लिए उपयोग किया जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि लगातार प्रदर्शन करने के बाद 2018 में प्लांट को बंद किया गया था। प्रदर्शन में हुई फायरिंग के दौरान 13 प्रदर्शनकारी लोगों की मौत भी हो गई थी।