न्यायाधीश एन. शेषशायी और न्यायाधीश सत्यनारायणन की पीठ ने तमिलनाडु सरकार और चेन्नई कार्पोरेशन को ये आदेश दिया कि उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए जो इन होर्डिंग्स को लगाने के मामले में जिम्मेदार है। ये रिपोर्ट सेंट थॉमस माउंट रोड पुलिस और निगम द्वारा तैयार की जाए।
पुलिस की भी हुई खिंचाई :
सामाजिक कार्यकर्ता ट्रेफिक रामास्वामी की अवमानान याचिका पर सुनवार्इ करते हुए पीठ ने सुबह तलिनाडु सरकार को इस मामले में फटकार लगाई। जब लंच के बाद मामला फिर से शुरु हुआ तो चेन्नई पुलिस कमिश्नर ए.के. विश्वनाथन और ग्रेटर चेन्नई कार्पोरेशन कमिश्नर जी. प्रकाश पीठ के समक्ष पेश हुए। एडवोकेट जनरल से एच सी को बताया कि ड्राइवर के खिलाफ कार्रवाई की गई है और अवैध होॄडग्स लगाने वालों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई है।
बैनर को बताया संस्कृति पर खतरा:
पीठ ने बैनर को संस्कृति के लिए खतरा बताते हुए पूछा कि अधिकारी इस पर कैसे अंकुश लगाएंगे। पीठ ने सख्त लहजे में कहा कि फ्लैक्स बोर्ड हटाने के लिए एक महिला को मारना जरूरी नहीं है। सुबाश्री मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में हुई देरी के लिए उन्होंने ट्रेफिक पुलिस की भी खिंचाई की। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कोई भी शिकायत दे सकता है। ट्रेफिक पुलिस ने शिकायत क्यों नहीं की? कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि क्या अधिकारी शिकायत करने से रोकते हैं। अवैध होर्डिंग के कारण 2017 में कोयंबतूर में रघु की मौत का हवाला देते हुए, उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार से यह भी पूछा कि तब अधिकारियों के खिलाफ क्या अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई थी। हाईकोर्ट ने मामले को 25 सितंबर के लिए स्थगित कर दिया है।